अंबिकापुर। प्रदेश की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में एक अंबिकापुर में भाजपा प्रत्याशी संगठन में वर्षो से जमे वरिष्ठ नेताओ की अनदेखी के चलते अलग-थलग पड़ गए हैं। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी को कई मतदान केंद्रों में अनुभवी पोलिंग एजेंट ढूंढने में काफी मशक्कत करना पड़ रहा है।
अंबिकापुर में भाजपा के राजेश अग्रवाल का मुकाबला कांग्रेस के टीएस सिंह देव से है। कभी उप मुख्यमंत्री सिंह देव के करीबी रहे राजेश अग्रवाल पर भाजपा नेतृत्व ने भले ही भरोसा जताया हो लेकिन स्थानीय भाजपा के दिग्गज उनकी दावेदारी को पचा नहीं पा रहे हैं। संगठन के भय से पदाधिकारी सिर्फ कार्यक्रम में उपस्थित होने का दिखावा करते नजर आते रहे हैं। राजेश अग्रवाल के करीबी और व्यवसायी मित्रो द्वारा चुनाव की कमान और फंडिंग दोनो ही अपने हाथ मे रखने से स्थानीय नेताओं में बड़ी नाराजगी भी सामने आ चुकी है। 25-30 साल से पार्टी के लिए पसीना बहाने वाले नेताओं को राजनीति की नौसिखिया लोगों से निर्देशित होना गवारा नहीं है। इसकी साफ झलक बुधवार को कला केंद्र मैदान में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सभा मे भी दिखा। तीन विधानसभा के कार्यक्रम में अपेक्षित भीड़ नहीं जुट पाने ने नड्डा भी नाराज दिखे। चुनाव प्रचार थमने के अंतिम क्षण तक का उपयोग करने की बजाए करीब 20 मिनट में ही भाषण समाप्त कर दिया जबकि उस वक्त 5 बजने में 11 मिनट शेष था। संगठन के अनुभवी पदाधिकारियों से दूरी के चलते बूथ प्रबंधन का काम प्रभावित हुआ है। भाजपा के परंपरागत मतदाता माने जाने वाले शहरी क्षेत्र के कई मतदान केंद्रों में अनुभवी लोग काम करना नहीं चाहते। उनकी जगह नए लोगो को पोलिंग एजेंट बनाने पर विचार चल रहा है। अनुभवी और वरिष्ठ पदाधिकारियों के बिना मैदान में उतरी भाजपा कांग्रेस के मजबूत संगठन और हर मतदान केन्द्रों के प्रत्येक अनुभाग तक उपस्थिति रखने वाले कांग्रेस से है। कांग्रेस प्रत्याशी उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव उनके परिवार के सदस्य और संगठन के कार्यकर्ता विधानसभा के लगभग सभी वोटरों तक दो-तीन बार सम्पर्क कर चुके हैं जबकि भाजपा प्रत्याशी चंद युवा और महिलाओ के साथ जनसम्पर्क करते रहे। वोटरों तक स्वयं जीवंत सम्पर्क न कर पाना मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय बना है।