अंबिकापुर। केआर टेक्निकल कालेज मेंआइक्यूएसी और हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में गोस्वामी तुलसीदास की 526 वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर महाविद्यालय की डायरेक्टर रीनू जैन, प्राचार्य डॉ रितेश वर्मा तथा आइक्यूएसी के संयोजक अफरोज अंसारी ने गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर सभी को बधाई दी। कार्यक्रम की शुरुआत में हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक विनोद चौधरी ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि गोस्वामी तुलसीदास भक्ति काल के एक महान भक्त, कवि तथा महान धर्म समाज सुधारक थे। आज ही के दिन इस दिव्य महात्मा का इस धरा पर अवतरण हुआ था। उन्होंने तुलसीदास का संपूर्ण जीवन परिचय विस्तार से बताया। तुलसीदास जी ने अपने जीवन काल में बारह प्रमाणित ग्रंथों की रचना की जिसमें रामचरितमानस अवधी भाषा का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है तथा विनय पत्रिका ब्रजभाषा का श्रेष्ठ ग्रंथ है। रामचरितमानस के कारण ही तुलसीदास जी की ख्याति पूरी दुनिया में फैली हुई है। श्रीरामचरितमानस एक लोक ग्रंथ है जिसे बड़े भक्ति भाव से पढ़ा जाता है। आगे उन्होंने बताया कि मध्य काल में हिंदू समाज में अनेक प्रकार की बुराइयां विद्यमान थी तथा चारो ओर आडंबर तथा पाखंड फैला हुआ था। वे हिंदू धर्म के उद्धारक के रूप में अवतरित हुए थे। उन्होंने हिंदू धर्म के मूल गुण दया, परोपकार और अहिंसा आदि पर बल दिया। निराकार उपासना के स्थान पर राम की सगुण भक्ति पर बल दिया। हिंदुओं की मूर्ति पूजा पर आस्था बनाए रखी। उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की भक्ति का आदर्श रखा तथा सगुण भक्ति को ही सुन्दर श्रेष्ठ बताया। अतः उन्होंने जन जन तक आदर्श पारिवारिक जीवन और आदर्श भारतीय समाज की रूपरेखा प्रस्तुत की।अगली कड़ी में महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक विनितेश गुप्त ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रकाश डाला और उनके निराकरण पर बल दिया। वे समाज को प्राचीन आदर्शों पर देखना चाहते थे। उन्होंने रामचरितमानस के सातों कांड से उदाहरण देते हुए बताया कि तुलसीदास ने जनता के सामने मर्यादा पुरुषोत्तम राम को आदर्श रखते हुए बताया कि किस प्रकार राम एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श पति तथा एक आदर्श राजा के रूप में अपना कर्तव्य पालन करते हैं। इसी प्रकार तुलसीदास ने सीता को आदर्श पत्नी, भरत को आदर्श भाई, कौशल्या को आदर्श माता, हनुमान को आदर्श सेवक के रूप में चित्रित किया है। इसी प्रकार रामचरितमानस में तुलसी ने पारिवारिक जीवन के लिए लक्ष्मण तथा भरत के भातृ प्रेम तथा सीता के पतिव्रता धर्म का आदर्श प्रस्तुत किया। तुलसीदास ने जाति-पाति तथा छुआछूत का खुलकर विरोध किया है। इस संदर्भ में उन्होंने रामचरितमानस के भक्त राज निषाद तथा माता शबरी के उदाहरण प्रस्तुत किए।