■ कथा गंगा की तरह है, जो अनवरत बहती हुई हृदय तक पहुंचती है- रमेश भाई ओझा
अंबिकापुर। सरगुजा वनांचल क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जो जीवन शैली है उसे प्रत्यक्ष रूप से देखने पर विशेष आनंद का अनुभव रहा, कोशिश रहेगी कि हर वर्ष इस क्षेत्र में एक कथा हो। उक्त बातें श्रीमद भागवत कथा में अंबिकापुर पहुंचे विश्वविख्यात कथा वाचक रमेश भाई ओझा ने बुधवार को प्रेस वार्ता को कही।
उन्होंने कहा कि कथा गंगा की तरह है, जो अनवरत बहती हुई हृदय तक पहुंचती है। जहां भाव का बाहुल्य है उनको विचार दिया जाए और शहरी क्षेत्र में जहां विचार का प्रभाव है लेकिन वहां कभी-कभी भाव की दृष्टि से सूखापन देखने को मिलता है। जो विचारवान लोग हैं उन्हें भाव दिया जाए और भावनापूर्ण जीवन जीने वालों को विचार प्रदान किया जाए। भाव और विचार दोनों में संतुलन स्वस्थ जीवन के लिए अनिवार्य है। विचारवान लोगों का समाज तैयार होगा तो राष्ट्र व सबको इसका फायदा मिलेगा।उन्होंने आगे कहा कि मानव जैसा बुद्धिमान प्राणी है उसको नियंत्रित करना आवश्यक है। धर्म कहता है कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा, हमें हिंसा नहीं करना चाहिए, बेईमानी से दूर रहना चाहिए। श्री ओझा ने कहा कि धर्म,समाज सरकार यह तीनों मिलकर व्यक्ति को अच्छा इंसान बनाते हैं। धर्म कोई गेंद नहीं की राजनीति पार्टियों खेलें, राजनीति में धर्म होना चाहिए,धर्म में राजनीति नहीं।
राजनीति में धर्म होना चाहिए, धर्म में राजनीति नही
श्री ओझा ने एक देश एक कानून एवं एक देश एक चुनाव का समर्थन करते हुए कहा कि यह अच्छे समाज के लिए जरूरी है। लोग साल भर चुनाव कराने में लगे रहते हैं, चुनाव प्रजातंत्र व्यवस्था में उत्सव की तरह लगना चाहिए।
बच्चों के ऊपर पढ़ाई का बहुत दबाव अनुचित
कथावाचक रमेश भाई ओझा ने कहा कि आज बच्चों के ऊपर पढ़ाई का बहुत दबाव है हमें इसे लेकर गंभीर होना चाहिए। बच्चों को सुबह जल्दी उठाओ, स्कूल भेजो, पढ़ाओ, फटकार लगाने से बच्चों के ऊपर बहुत दबाव बन रहा है। श्री ओझा ने कहा कि भगवान श्री कृष्णा 11 साल की उम्र तक स्कूल नहीं गए लेकिन वह जगतगुरु बन गए। बच्चों के ऊपर पढ़ाई बोझ बन जाएगा तो वह पढ़ेंगे नहीं। बच्चों का बचपन छीन ना जाए, पढ़ाई फन की तरह हो स्कूल कैद ना बने।
छत्तीसगढ़ में भी शिक्षा का मंदिर खोलने रहेगी पूरी कोशिश
कथावाचक श्री ओझा ने बताया कि वह प्रारंभ से ही आदिवासी बच्चे-बच्चियों को अच्छा शिक्षा मिले इसके लिए उन्होंने विद्या मंदिर गुजरात व अन्य राज्यों में बनवाया है और अभी भी आदिवासी बच्चे बच्चियों के लिए काम जारी है। छत्तीसगढ़ में भी उनके द्वारा आदिवासी बच्चों बच्चियों के लिए स्कूल खुले जाने के प्रश्न पर श्री ओझा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी विद्या का मंदिर खोलने की उनकी मनसा है और वह पूरी कोशिश करेंगे कि यहां भी स्कूल खुले और यहां के आदिवासी बच्चियों को उसका लाभ मिले।