रामानुजगंज। तीन दिनों से अपने घर से लापता रोती बिलखती मासूम बच्ची को समाजसेवियों ने पहल कर स्वजनों से मिलाया। स्कूटी सवार किसी अज्ञात महिला के द्वारा धोखे से टेंपो में बैठाकर रामानुजगंज भेजा था मासूम को जिसके बाद से वह रामानुजगंज में ही भटक रही थी।
कक्षा पांचवी में पढ़ने वाली मानमती उर्फ रिंकी पिता राम भजन मरकाम ग्राम पीपरोल के गमहार पारा की रहने वाली है।रविवार को वह साइकिल बनवाने जा रही थी। इसी दौरान स्कूटी सवार एक महिलाओं के द्वारा उसे टेंपो में डरा धमका कर बैठने के लिए बोला गया, जिसके बाद वह टेंपो में बैठकर रामानुजगंज पहुंच गई एवं चौक में उसे रुकने को बोला था। परंतु वह वहां से चल दी जिसके बाद वह जनपद कार्यालय के समीप रो रही थी, जिसे स्थानीय आनंद कुमार राही और दिलीप कश्यप ने देखा। दिलीप ने मानवता का परिचय देते हुए मासूम को अपने घर में रखा। वही इसकी जानकारी समाजसेवी विकास दुबे एवं प्रमोद मिश्रा को मिलते ही तत्काल दोनों के द्वारा पहल कर स्वजनों से मानमती को मिलवाया।
भाई के भूलने से दुखी भाई ने की मासूम की मदद
दिलीप कश्यप का भाई 20 वर्ष पहले भूल गया था जिसे ढूंढने का बहुत प्रयास किया गया। परंतु वह नहीं मिला था इसका दुख आज भी परिजनों को है जब मासूम को रोते देखा और पूछा तो तत्काल में सारा माजरा समझ गए एवं बच्ची भाई के समान गुम न जाए इसके लिए उसे अपने घर में रखा। आज समाजसेवियों के मदद से स्वजनों तक बच्ची पहुंच गई।
स्कूटी सवार महिला ने क्यों भेजा रामानुजगंज ?
स्कूटी सवार अज्ञात महिला के द्वारा डरा धमका कर रामानुजगंज क्यों भेजा, उसका रामानुजगंज भेजने के पीछे उद्देश्य क्या था ? क्यों उसे रामानुजगंज में रुकने एवं यह बात किसी से नहीं बताने के लिए धमकी दी थी, यह एक बड़ा प्रश्न है.. ?