अंबिकापुर। शहर के राजमोहिनी देवी भवन के पीछे 60 करोड़ की जमीन फर्जीवाड़ा के मामले में कार्रवाई की प्रतीक्षा है। इस मामले ने राजस्व व नजूल विभाग के कुछ कर्मचारियों के स्वेच्छारिता की पोल खोल कर रख दी है। जिस बेशकीमती जमीन पर 50 वर्ष बाद कब्जा बताकर नामांतरण कर दिया गया उस जमीन का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय से फैसला आने से पहले ही स्थानीय स्तर पर चार करोड़ रुपये में सेटिंग कर 60 करोड़ की जमीन का फर्जी तरीके से नामांतरण कर दिया गया। राजस्व व नजूल विभाग के जिन कर्मचारियों ने यह गड़बड़ी की है उनके द्वारा भू-माफिया के रूप में कार्य किया जा रहा है। एक तीसरे व्यक्ति को सामने खड़ा कर बेशक़ीमती जमीन को उसके नाम कर खुद जमीन बिक्री की जा रही है। अंबिकापुर शहर व इसके आसपास के इलाके में पहुंच और प्रभाव के दम पर जमीन फर्जीवाड़ा कमाई का सबसे बड़ा माध्यम रहा है। जमीन के धंधे में कई शासकीय कर्मचारी भी लाल हो चुके हैं। उन्हें किसी कार्रवाई का भी डर नहीं रहता है। यही कारण है कि उच्च अधिकारी भी सब कुछ जानते हुए शांत बैठे हुए हैं। इस मामले में अभी तक प्रशासनिक स्तर पर जांच के आदेश नहीं हुए हैं। नए साल के स्वागत और पुराने साल के विदाई में उच्च प्रशासनिक अमला भी व्यस्त है लेकिन जमीन फर्जीवाड़े के इस मामले में “TheTaget365″ अपना अभियान जारी रखेगा। जनहित में जब तक कार्रवाई नहीं हो जाती तब तक इस गड़बड़ी की कहानी सामने लाई जाएगी। शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान कर अपनी जेबें भरने वालों को यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता। उनकी काली कमाई के चिट्ठे सामने लाकर उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को कार्रवाई के लिए मजबूर किया जाएगा।
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