अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद पहली बार अंबिकापुर दौरे पर आए प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कार्यक्रम में अंबिकापुर के एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार के साथ मारपीट की घटना की सर्वत्र निंदा हो रही है। बताया जा रहा है कि एक जिम्मेदार भाजपा पदाधिकारी ने माफी भी मांगी है। बावजूद, जिले के पत्रकारों ने भी इस घटना को लेकर न सिर्फ भाजपा के कार्यकर्ताओं बल्कि अधिकारियों पर भी नाराजगी जाहिर की है। प्रथम दौरे पर आए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में कानून व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इस घटना को हल्के में ले रहे हैं किंतु यह घटना भविष्य के लिए चिंतनीय है। न सिर्फ इस घटना को लेकर बल्कि मीडिया कर्मियों के काले जैकेट को उतार कर अंदर प्रवेश करने के मामले को लेकर भी नाराजगी है। क्या कोई काला लिबास नहीं पहन सकता..? यह कैसा लोकतंत्र है..? जहां रंगों को लेकर आपत्ति की जा रही है। क्या संविधान में लिखा है कि कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री की सभा में काला कपड़ा पहन कर नहीं आ सकता ? लोकतंत्र में कैसा डर है भाई.. कि कोई काला जैकेट या कालाकोट या काला कुर्ता पहन के पहुंचता है तो इसे विरोध करना ही माना जाएगा। मुख्यमंत्री की सभा में कल मीडिया कर्मियों से पुलिसकर्मियों ने जैकेट उतरने तक कह दिया। बीच-बचाव के बाद मीडिया कर्मी अंदर तो प्रवेश कर गए पर यह घटना भी चिंता की बात है। हम यहां बताना चाहेंगे यदि काले लिबास से इतना ही खौफ या डर है तो मंच पर स्वयं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय काला जैकेट पहनकर लोगों का अभिवादन कर रहे थे। उनके साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण देव, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल सहित कई पदाधिकारी काला जैकेट पहने हुए थे। ऐसे में यह माननीय किसका विरोध करने सभा में आए थे यह भी प्रश्न खड़ा हो सकता है…? यह परिपाटी बंद होनी चाहिए कि कोई काला कपड़ा पहना है तो उसे सभा स्थल पर जाने की अनुमति नहीं रहेगी।
पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने घटना पर जताया दुख, मुख्यमंत्री को ट्वीट कर कहीं यह बात
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री @vishnudsai जी के पदग्रहण उपरांत, सुरगुजा के प्रथम दौरे के दौरान एक पत्रकार के साथ उनकी उपस्थिति में हिंसा की घटना अत्यंत दुःखद और निंदनीय है।
आशा करता हूं कि मुख्यमंत्री जी दोषी पर कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। अपेक्षा है कि सरेआम कानून व्यवस्था भंग करने वाले को उचित दंड मिले और पत्रकार साथी को न्याय मिले।