★ लोक निर्माण विभाग अंबिकापुर के अधीन व क्षेत्र का सबसे व्यस्ततम माना जाने वाला
प्रतापपुर (सूरजपुर)। अंबिकापुर मार्ग जिसे मुख्यतः खड़गवां मार्ग के नाम से जाना जाता है। उक्त मार्ग पर बना बांक नदी का पुल लंबे समय से अपनी दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है।
मार्ग पर बने पुल के बीच वाले जोड़ के पूरे हिस्से में लंबे समय से एक बड़ी दरार पड़ी हुई है। यदि दरार के स्थान पर यह कहा जाए कि पुल के बीच का हिस्सा पूरी तरह से फट गया है तो यह कहना भी गलत नहीं होगा क्योंकि दरार में झांकने से पुल के नीचे बह रही बांक नदी का दृश्य दिखाई देता है। इस दरार के कारण पुल के ऊपर एक खतरनाक व जानलेवा जर्क बना गया है। जिसमें से गुजरने वाले वाहन सवार आए दिन दुर्घटनाग्रस्त होकर घायल हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों की उदासीनता के कारण जर्जर हालत में पहुंच चुके इस पुल के रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यदि जल्द ही पुल पर पड़ी खतरनाक दरार को दुरुस्त नहीं किया गया तो पुल से गुजरने वाला कोई भी वाहन सवार गंभीर दुर्घटना का शिकार हो सकता है। क्योंकि इस दरार के ऊपर से गुजरने वाले वाहनों को जबरदस्त झटका लगता है, जिसके कारण वाहन हवा में उछल जाता है। ऐसा लगता है कि संबंधित विभाग ने किसी बड़ी दुर्घटना के घटित होने पर ही जागने का निश्चय कर रखा है। कई बार विभागीय अधिकारियों को इस पुल पर बनी दरार की सूचना दी जा चुकी है पर किसी बड़े हादसे को जन्म देने की संभावना वाली इस दरार को भरने के छोटे से कार्य को करने में भी विभाग के लापरवाह अधिकारी रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
गौरतलब है कि लगभग दो दशक पूर्व बना यह बांक नदी का पुल और भी कई जगहों से जर्जर हो चुका है क्योंकि लंबे समय से इसकी मरम्मत का कार्य नहीं किया गया है जिसके कारण पुल कमजोर होता जा रहा है। यदि भविष्य में इस नदी में बाढ़ जैसे हालात बनते हैं तो पुल को बड़ा नुक़सान होने की पुरजोर संभावना है। एक बात स्पष्ट कर दें कि शासन द्वारा विभाग को सड़क और पुल पुलियों की मरम्मत के लिए प्रति वर्ष लाखों रुपए की राशि मुहैया कराई जाती है पर इस राशि का जमीनी स्तर पर कहीं उपयोग होता हो ऐसा दिखाई नहीं देता फिर यह राशि जाती कहां है इसका जवाब तो लोक निर्माण विभाग अंबिकापुर ही दे सकता है।
★ प्रतापपुर क्षेत्र की कई सड़कें दूसरे जिलों के अधीन
यह एक विडंबना ही है कि सूरजपुर को जिला बने हुए वर्षों बीत चुके पर शासन प्रशासन की उदासीनता के कारण आज भी सूरजपुर जिले के प्रतापपुर क्षेत्र की कई प्रमुख सड़कें पीडब्ल्यूडी बलरामपुर व सरगुजा जिले के अधीन बनी हुई हैं। जिनमें बनारस मार्ग पर स्थित भैसामूड़ा के सत्तीपारा से सोनगरा तथा प्रतापपुर से खड़गवां की ओर जाने वाली सड़कें पीडब्ल्यूडी अंबिकापुर व कपसरा से पोड़ी मोड़ होते हुए धनवार बार्डर, डांड़करवां से रमकोला, सामरी, राजपुर तथा कई अन्य गांवों की ओर जाने वाली सड़कें पीडब्ल्यूडी बलरामपुर जिले के अधीन हैं। जबकि इन सड़कों का अधिकांश हिस्सा प्रतापपुर क्षेत्र में आता है इस हिसाब से नियमानुसार इन्हें पीडब्ल्यूडी सूरजपुर जिले के अधीन होना चाहिए। इस स्थिति से 6 मई 2022 को प्रतापपुर प्रवास पर पहुंचे पूर्व की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल को भी अवगत कराया गया था जिस पर उन्होंने पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत आने वाली सभी सड़कों का क्षेत्रानुसार सीमांकन करने प्रशासन को निर्देश दिए थे। पर इसके बावजूद इसे लेकर कोई पहल नहीं हो सकी। और अब छत्तीसगढ़ में जनता ने नई सरकार के रूप में भाजपा को मौका दिया है इसलिए जनता को उम्मीद है कि इस दिशा में जरूर ठोस पहल होगी।