★ नजूल में वर्षों से बैठे लिपिक व पटवारी की शह पर भू-माफियाओं ने कर दी करोड़ो की जमीन की हेराफेरी
★ करोड़ों के जमीन फर्जीवाड़ा में अब तक नहीं हुई कार्रवाई, फर्जी तरीके से 60 करोड़ की जमीन का नामांतरण
★ साधन-संपन्न लोगों ने राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ मिलकर की गड़बड़ी
अंबिकापुर। स्वच्छ प्रशासन के दावे को खोखला साबित करने में राजस्व विभाग के अधिकारी व मैदानी कर्मचारी लगे हुए हैं। साधन-संपन्न लोगों ने 60 करोड़ की जमीन का फर्जीवाड़ा किया है। एक ऐसे व्यक्ति के नाम बीच शहर की जमीन का नामांतरण कर दिया गया है जिसके नाम कभी जमीन थी या नहीं यह भी स्पष्ट नहीं है। जमीन से जुड़े दस्तावेज भी गायब कर दिए गए हैं। तत्कालीन कलेक्टर कुंदन कुमार से मामले की शिकायत भी हुई थी। जांच शुरू होती उसके पहले ही उनका तबादला हो गया। अब नए कलेक्टर के समक्ष मामला सामने लाने की भनक लगते ही फर्जीवाड़ा में शामिल लोग मनमाना तरीके से तेजी से जमीन पर निर्माण कर रहे हैं। गड़बड़ी की जांच हुई तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आएगा। इसमें राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारी और साधन-संपन्न लोगों पर सीधे एफआईआर और वैधानिक कार्रवाई भी संभावित है। मालूम हो कि शासकीय जमीन की हेराफेरी के लिए अंबिकापुर शहर कई वर्षों से बदनाम रहा है। यहां के कुछ राजस्व कर्मचारियों और भू-माफियाओं के बीच तगड़ी सेटिंग किसी से छिपी नहीं है।इसी तगड़ी सेटिंग का परिणाम है कि अंबिकापुर शहर के नमनाकला राजमोहिनी देवी के पीछे बेशकीमती जमीन का घोटाला कर दिया गया। नियम विरुद्ध तरीके से 60 करोड़ रूपये की भूमि का फर्जी तौर से नामांतरण कर दिया गया। जिस व्यक्ति के नाम जमीन का नामांतरण किया गया उसका कब्जा कभी भी उस जमीन पर नहीं था लेकिन चार करोड़ रूपये की सेटिंग में कुछ कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से जमीन का नामांतरण कर दिया। राजस्व अभिलेखों में नाम अंकित होते ही संबंधित व्यक्ति ने उक्त जमीन को नियम विरुद्ध तरीक़े से बेचना भी शुरू कर दिया है। मामले में नजूल अधिकारी कार्यालय के एक लिपिक तथा नमनाकला के हलका पटवारी की भूमिका संदिग्ध है। मामले की शिकायत मनीष सिंह ने कलेक्टर सरगुजा से की है। इस शिकायत के सामने आने के बाद गड़बड़ी में संलिप्त अधिकारी, कर्मचारी बचाव की मुद्रा में आ गए हैं।
कलेक्टर को प्रेषित ज्ञापन में मनीष सिंह ने जो लिखा है उसे हम पुनः अक्षरशः प्रकाशित कर रहे हैं:-
प्रति
श्रीमान् कलेक्टर महोदय, जिला सरगुजा छ.ग.
विषयः-
खसरा नंबर 243/1 में से रकबा 1.710 डिसमिल भूमि स्थित ग्राम नमना कला, तहसील अम्बिकापुर जिला सरगुजा छ०ग० को फर्जी तौर से नजूल अधिकारी तथा नजूल अधिकारी के लिपिक एवं नमना कला के हल्का पटवारी द्वारा भू-माफियाओं से मिलकर 60 करोड़ रूपये की भूमि का फर्जी तौर से नामांतरण कर 04 करोड़ रूपये की अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा धन उगाही कर भ्रष्टाचार करने के संबंध में।
महोदय,
निवेदन है कि नगर अम्बिकापुर में राज मोहनी भवन के पास मोहल्ला नमना कला अम्बिकापुर में खसरा नंबर 243 स्थित है, उक्त भूमि पूर्व में 111.40 एकड़ भूमि थी। जो कालांतर में शासकीय प्रयोगों के लिए उपयोग में लाई गई और कुछ भूमि पर शासन के द्वारा पट्टा प्रदान किया गया तथा इसी से संबंधित भूमि पर व्यवहारवाद क्रमांक 41-ए-90 निर्णय दिनांक 23.09.1991 विचाराधीन था। जिस पर निर्णय पारित किया गया है और वर्तमान में उक्त भूमि का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय, बिलासपुर में विचाराधीन है। उक्त भूमि वर्तमान नक्शे में दत्ता कॉलोनी की भूमि खसरा नंबर 243 को भूमि डिग्री भूमि 233 के भाग में फर्जी तौर से समाहित कर नक्शा तैयार किया गया है। जबकि 233 खसरा नंबर भूमि का प्रकरण व्यवहारवाद में विचाराधीन था। जिसका अभी निराकरण नहीं हो पाया था, इसी दौरान तात्कालीन नजूल अधिकारी, अम्बिकापुर के न्यायालय में भू-माफिया द्वारा बंशु आ० भुटकुल निवासी-फुन्दुरडिहारी, अम्बिकापुर जिला सरगुजा के माध्यम से एक राजस्व प्रकरण. / अ-6/2021-22 में दिनांक 06.10.2022 को आदेश पारित किया गया है कि बंशु आ० भुटकुल के द्वारा नजूल भूमि खसरा नंबर 154, 243/10 रकबा क्रमशः 0.934, 1.710 भूमि का पट्टा तहसीलदार अंबिकापुर द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक 1967-68 आदेश दिनांक 15.04.1968 के माध्यम से मोहल्ला नमना कला नगर अंबिकापुर में स्थित नजूल भूमि भू खण्ड क्रमांक खसरा नंबर 154, 243/10 रकबा क्रमशः 934, 1.710 का पट्टा प्रदान किया गया है। किन्तु राजस्व अभिलेखों में नाम विलोपित हो गया है। जिसके आधार पर तात्कालीन नजूल अधिकारी तथा नजूल अधिकारी के लिपिक अजय तिवारी एवं हल्का पटवारी गणेश मिश्रा द्वारा मिलकर शासन की 60 करोड़ रूपये की भूमि का 04 करोड़ रूपये का तीनों ने मिलकर भू-माफियाओं से अवैध धन की उगाही कर भ्रष्टाचार कर नियम विरूद्ध शासकीय भूमि को बंशु आ० भुटकुल के नाम दर्ज करने का आदेश दिनांक 06.10.2022 को पारित करवा कर उक्त भूमि को अवैध प्लाटिंग कर 15-15 लाख रूपये प्रति डिसमिल से विक्रय किया जा रहा है। यह बहुत बड़ा भू-माफियाओं से मिलकर किया गया, भूमि घोटाला है। जिसकी जांच कर दोषी व्यक्त्तियों के विरुद्ध तथा इसमें सम्मिलित व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना न्यायहित में आवश्यक है।
महोदय उक्त आदेश में तात्कालीन नजूल अधिकारी के द्वारा यह उल्लेखित किया है कि राजस्व प्रकरण क्रमांक 107/अ-19/1967-68 आदेश दिनांक 15.04.1968 के अनुसार अम्बिकापुर स्थित भूमि खसरा नंबर 243/10 रकबा 4.25 एकड़ भूमि बंशु आ० भुटकुल लोहार को भूमि प्राप्त हुई। खसरा पंचशाला वर्ष 1967-68 से वर्ष 1972-73 के आधार पर वर्ष में 241 के बाद 243/11 के बीच का पन्ना पृष्ठ क्रमांक 89 एवं 90 नहीं पाया गया, जिसके अभाव में खसरा क्रमांक 243/10 के स्वामित्व के संबंध में उल्लेखित नहीं किया जा सका। जो यह प्रमाणित करता है, कि उक्त वर्ष के खसरा पंचशाला में उसका नाम दर्ज नहीं है, जिस कारण से उक्त खसरा पंचशाला पृष्ट क्रमांक 89 व 90 को फाड़ कर हटा दिया गया है ताकि सच्चाई प्रदर्शित न हो सके और फर्जी तौर से आगे के पन्नों में नाम उल्लेखित करने का लेख आदेश में किया गया है। यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि उक्तभूमि वर्तमान में कई लोग निवासरत है तथा घनी आबादी की भूमि है, उस पर उसका कब्जा बताया जा रहा है तथा यह भी उल्लेखित किया जा रहा है कि चालू नक्शे के अनुसार भू-खण्ड कमांक 243/10 में आवेदक का कभी कब्जा नहीं रहा है। उसका चालू नक्शे के अनुसार 243/1 रकबा 38 एकड़, 15 डिसमिल जोकि शासकीय नजूल भूमि का भाग है जो मौके पर खुली एवं परत भूमि है। उस भूमि पर कब्जा होने के कारण उसे 243/10 जोकि राजस्व भूमि बतायी गई थी के स्थान पर 243/1 में से रकबा 1.710 हेक्ट० यानी 4 एकड़,25 डिसमिल भूमि नजूल का नामांतरण किया जाना उचित प्रतीत होने से नाम दर्ज करने का
आदेश दिया गया है। यह कैसे संभव है, कि किसी को यदि कोई पट्टा राजस्व भूमि का 243/10 का यदि मिला भी होगा तो उसे उसके स्थान पर 50 साल के बाद नया भू-खण्ड 243/1 मे से 04 एकड़, 25 डिसमिल भूमि नाम दर्ज करने का आदेश दे दिया जाये साथ ही उसे राजस्व भूमि की तरह संबंधित अधिकारी ने भू माफियाओं से मिलकर तत्काल बेचने के उद्देश्य से दिनांक 07.10.2022 का नवीन संशोधन का उल्लेख करते हुए उसे 20 वर्ष पूर्ण करने के आधार पर भू स्वामी अधिकार भी प्रदान कर दिया है। जबकि उक्त भूमि नगर सीमा से सटी हुई है, जिसके अनुसार वह भूमि राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार किसी भी परिस्थिति किसी को 01 वर्ष से के लिए कृषि कार्य से अतिरिक्त पट्टे पर प्रदान नहीं की जा सकती साथ ही यह उल्लेखनीय है कि उक्त भूमि सरगुजा स्टेट सेटेलमेंट के अनुसार गोचर मद में दर्ज है, जिसका किसी भी स्थिति में पट्टा प्रदान नही किया जा सकता है।इन सब तथ्यों को प्रकरण में विद्यमान होने के बाद भी तात्कालीन नजूल अधिकारी ने उक्त विधि विरूद्ध आदेश पारित कर शासन को 60 करोड़ रूपये की क्षति पहुंचाई है जिसकी जांच उच्च स्तरीय स्तर पर कर कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। क्योंकि यह राजस्व पत्रों की हेराफरी कर भू माफियाओं से मिलकर तात्कालीन नजूल अधिकारी तथा उनका लिपिक
और नमनाकला का हल्का पटवारी गणेश मिश्रा और भू माफिया के द्वारा किया गया भू घोटाला है। जिसकी जांच करने से स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि किस तरह से राजस्व अधिकारी भू माफियाओं से मिलकर सरगुजा जिले और खास तौर से अंबिकापुर तहसील में भूमि का करोड़ो घोटाला कर रहे हैं।
अतः श्रीमान् से निवेदन है कि राजस्व अधिकारी और भू माफियाओं के बीच सांठ-गांठ से किये गये इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी कर्मचारी और भू माफियाओं के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही की जाये तथा तत्काल अवैध प्लाटिंग कर संबंधित खसरा नंबर के विक्रय करने पर रोक लगाई जाये।