युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव शशि का नाम सबसे आगे
भाजपा में टिकट की दावेदार महिलाओं की लंबी कतार
अंबिकापुर। करीब 56 फीसदी जनजातीय आबादी वाले सरगुजा लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस महिला उम्मीदवार उतार सकती है। 2019 के चुनाव में भाजपा ने महिला उम्मीदवार उतारकर यह सीट जीत ली थी। कांग्रेस ने यहां से महिला उम्मीदवार कभी नहीं उतारा है। राजनीति में महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है। सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभा सीटों से चुने गए विधायकों में तीन महिलाएं जीती हैं। ये सभी भाजपा से ही हैं। कांग्रेस महिलाओं को आगे लाने के लिए लोकसभा चुनाव में महिला को मौका देने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
उत्तर प्रदेश और झारखंड की सीमा से लगे सरगुजा में भाजपा ने महिलाओं को राजनीति में आने का बेशक अधिक अवसर दिया है। यहां कांग्रेस में महिलाओं को आगे लाने की कोशिश ही नहीं हुई। अब परिस्थितियां बदली हैं और कांग्रेस में भी महिलाएं आगे आकर अपने लिए संभावनाएं तलाश रही हैं। सरगुजा में कांग्रेस की राजनीति राजपरिवार के इर्द-गिर्द ही देखी जाती रही है। राजमाता स्व. श्रीमती देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव जिला कांग्रेस की अध्यक्ष हुआ करती थीं । अविभाजित सरगुजा की बैकुंठपुर विधानसभा सीट से विधायक और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहीं। उनके बाद पार्टी में महिलाओं आगे रखकर चलने वाली नेतृत्व कुशलता देखी नहीं गई। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद सरगुजा में कांग्रेस की राजनीति कमजोर पड़ती चली गई। सत्ता और संगठन में अजीत जोगी कांग्रेस में सबसे ताकतवर नेता बन कर उभरे। राजपरिवार से उनकी पहले से ही नहीं बनती थी। हालांकि अपनी सरकार के आखिरी के दिनों में उन्होंने राजपरिवार के टीएस सिंह देव को साथ लेकर चलने की कोशिश की। इसी बीच सत्ता में भाजपा आ गई और कांग्रेस जहां थी , उससे आगे नहीं बढ़ सकी। अजीत जोगी ने 2003 के चुनाव में जिले में अपने पुराने समर्थक अमरजीत भगत को सीतापुर से टिकट देकर कांग्रेस की राजनीति में उभरने का अवसर दिया। महिलाओं के लिए तब भी अधिक कुछ नहीं था। आज महिलाओं का नेतृत्व देने और उन्हें आगे लाने की जरूरत कांग्रेस को है। पार्टी की नई पीढ़ी इसके लिए तैयार है।
सरगुजा लोकसभा सीट से कांग्रेस की महिलाओं की ओर से टिकट की दावेदारी की जा रही है। एक नाम जो प्रमुखता से उभरा है वह नाम सुश्री शशि सिंह का है। कामर्स ग्रेजुएट शशि सिंह सूरजपुर जिले के श्रीनगर की हैं। अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे दिवंगत नेता तुलेश्वर सिंह की बेटी हैं। पार्टी की राजनीति में वह लगातार सक्रिय रहीं हैं। राहुल गांधी की पिछली भारत जोड़ो यात्रा में वह पूरे समय साथ थीं। पिछले दिनों जब राहुल गांधी अपनी न्याय यात्रा पर अंबिकापुर में थे, शशि सिंह उनके कार्यक्रमों में जुटी हुई थीं। वह युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव हैं। सूरजपुर जिला पंचायत की सदस्य भी हैं। उनके नाम पर जोर इसलिए भी दिया जा रहा है कि वह गोंड जनजातीय समुदाय से आती हैं। सरगुजा में गोंड समुदाय की आबादी सबसे अधिक है। यह संख्या कुल 18 लाख मतदाताओं में एक तिहाई से अधिक है। इसी आबादी को देखते हुए चुनावों में गोंड समुदाय को प्राथमिकता मिलती रही है।
महिला दावेदारों में एक और नाम महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुईं श्रीमती हेमंती प्रजापति का भी है। उनके पति स्व. प्रवीण प्रजापति 1980-1986 में राज्यसभा सदस्य थे। उरांव जनजाति से ताल्लुक रखने वाले प्रवीण प्रजापति के परिवार को सरगुजा रियासत के महाराजा की ओर से प्रजापति की उपाधि मिली थी। इस सीट से दावेदारों में पूर्व मंत्री डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम भी हैं। कांग्रेस सरकार में वह मंत्री थे। विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट न देकर उनकी सीट से पार्टी ने महिला उम्मीदवार को उतारा था मगर वह जीत नहीं सकीं। सरगुजा लोकसभा सीट जीत लेने की कांग्रेस की कोशिश छत्तीसगढ़ बनने के बाद अब तक सफल नहीं हुई है। तीन बार इस सीट से सांसद रहे खेलसाय सिंह नेताओं की पसंद हो सकते थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में उनकी हार ने उनका नाम मानो विलोपित करा दिया।
भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवार के रूप में श्रीमती रेणुका सिंह को इस सीट से उतारा था। वह डेढ़ लाख मतों के अन्तर से जीतीं। केन्द्र में मंत्री भी बनीं। दो माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें जिले के बाहर की सीट भरतपुर-सोनहत से लड़ने के लिए भेजा गया। वह वहां से भी जीतीं और लोकसभा सदस्य पद से इस्तीफा देकर विधानसभा की शोभा बढ़ा रही हैं। पार्टी से इस बार सरगुजा लोकसभा सीट में आने वाली 8 सीटों से तीन महिलाएं चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। इससे महिलाओं में भारी उत्साह का माहौल है। यह उत्साह सरगुजा लोकसभा सीट के लिए टिकट की दावेदारी में भी दिखाई दे रही है। महिलाओं में सरगुजा से भाजपा जिला उपाध्यक्ष पुष्पा सिंह, महिला मोर्चा की बलरामपुर प्रभारी शांति सिंह और पूर्व जनपद अध्यक्ष सूरजपुर संध्या सिंह का नाम सामने आ रहा है। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनीति से है। इसी प्रकार अंबिकापुर से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष फुलेश्वरी सिंह व महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री अरुणा सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। पार्टी इन महिला दावेदारों में से किसी के नाम पर मुहर लगा सकती है।
भाजपा से दावेदारों में डा. रमन सिंह सरकार में गृह मंत्री रहे रामसेवक पैकरा और लुण्ड्रा विधानसभा सीट से विधायक रहे विजयनाथ सिंह और भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री सत्यनारायण सिंह भी शामिल हैं। सत्यनारायण राज्यसभा सदस्य रहे दिवंगत शिवप्रताप सिंह के पुत्र हैं। पार्टी ने पिछली बार महिला को उम्मीदवार बनाया था। इस बार हो सकता है पार्टी बदलाव करने की सोचे। अगर ऐसा होता है तो इन नेताओं में से किसी को भी अवसर दिया जा सकता है।
सरगुजा लोकसभा में तीन जिले, संगठन में प्रतिष्ठा की भी होड़
सरगुजा लोकसभा सीट का क्षेत्र तीन जिलों तक फैला हुआ। सरगुजा क्षेत्रफल की दृष्टि से पहले बहुत बड़ा जिला था। इसे विभाजित कर सूरजपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज दो नए जिले बनाए गए, जो सरगुजा लोकसभा सीट में ही हैं। भाजपा से पूर्व विधायक विजयनाथ सिंह भी टिकट के दावेदारों में हैं। वह लुण्ड्रा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। भाजपा का सरगुजा जिला संगठन उनके पक्ष में है। नेताओं का कहना है कि तीन जिलों में से दो सूरजपुर से लक्ष्मी राजवाड़े और बलरामपुर से रामविचार राज्य सरकार में मंत्री हैं। तीन विधायकों वाले सरगुजा में कोई बड़ा ओहदेदार नहीं है। लोकसभा चुनाव का टिकट सरगुजा जिले को मिलना चाहिए। हालांकि चुनाव और राजनीति में इस तरह की जज्बातों का कोई महत्व नहीं है, पार्टी जीतने वाले उम्मीदवार पर दांव लगाती है। पार्टी को उनमें जीत की संभावना दिखाई देती है तो उन्हें भी उतारा जा सकता है।
दो जनजातियों से ही चुने जाते रहे हैं सांसद
सरगुजा लोकसभा सीट से अब तक दो जनजाति समुदाय से ही सांसद चुने जाते रहे हैं। इसके पीछे वोटों का समीकरण रहा है। इस सीट में गोंड जनजाति समुदाय के सबसे अधिक करीब साढ़े छह लाख वोटर हैं। इसके बाद कंवर जनजाति समुदाय के वोटरों की संख्या आती है। अब तक के चुनाव में इन्हीं दो समुदायों से सांसद चुने गए हैं। वोटरों की तीसरी बड़ी संख्या उरांव जनजाति समुदाय की है।
लेखक
अशफाक अली
वरिष्ठ पत्रकार