★ जांच प्रभावित न हो इसलिए पिछले माह हटाया गया वर्षों से पदस्थ नजूल विभाग का बाबू
अंबिकापुर। शहर के राजमोहिनी देवी भवन के पीछे करोड़ो की शासकीय जमीन फर्जीवाड़े में प्रशासन अब बड़ी कार्रवाई की तैयारी में हैं। नियमविरुद्ध तरीके से नामांतरण और बिक्री के इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है। जांच में शासकीय जमीन का फर्जीवाड़ा उजागर हो चुका है। मामले में दोषियों के विरुद्ध एफआईआर और लगभग सवा 4 एकड़ जमीन को फिर से शासकीय नजूल मद में दर्ज करने की तैयारी है। इसका साफ मतलब है कि सारी रजिस्ट्रियां शून्य घोषित हो जाएगी। प्रशासन ने कार्रवाई का जो खाका तैयार किया है वह शहर में भूमाफियाओं के विरुद्ध अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई होगी। इसमें राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी व कर्मचारी भी फसेंगे। मामला सामने आने के बाद राज्य प्रशासनिक सेवा स्तर के अधिकारी से जांच कराई गई थी। जांच के दौरान समस्त दस्तावेजों की छानबीन की गई। छानबीन में यह प्रमाणित हुआ कि भू-माफियाओं ने राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों से मिलीभगत कर एक वर्ष के भीतर फर्जी व्यक्ति, फर्जी आधार कार्ड से शासकीय जमीन का नामांतरण करा लिया। फिर इसे टुकड़ों में बेच शासन को करोड़ों की आर्थिक क्षति पहुंचाई। सभी रजिस्ट्री में गवाह भी एक ही हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। इस मामले में आरोपों से घिरे एक लिपिक को पिछले माह 13 फरवरी को ही जिला कार्यालय से हटा दिया गया है। जांच प्रभावित न हो इसलिए यह किया गया था। गड़बड़ी में शामिल तत्कालीन अधिकारी का यहां से तबादला हो चुका है। अब एफआईआर की तैयारी है, जमीन भी वापस होगी।
समझिए जमीन फर्जीवाड़ा के इस मामले को
नमनाकला अंबिकापुर निवासी बंसू लोहार की मृत्यु 15 वर्ष पूर्ण हो चुकी है। उसे सिंहदेव योजना के तहत वर्ष 1967- 68 में नमनाकला में भूमि का पट्टा जारी किया गया था। वर्ष 1971- 72 में नमनाकला के समस्त शासकीय जमीन को नजूल घोषित करने के कारण बंसू की जमीन भी नजूल अभिलेखों में दर्ज हो गई थी। अंबिकापुर के भू माफियाओं ने नमनाकला निवासी बंसू लोहार के स्थान पर परसा निवासी बंसू लोहार को तैयार कराया। उसे फुन्दूरडिहारी का बताकर नया आधार कार्ड बनवाकर नामांतरण हेतु आवेदन प्रस्तुत कर नजूल रिकॉर्ड में त्रुटि सुधार करने एवं नामांतरण दर्ज करने का आवेदन प्रस्तुत कराया गया। तात्कालिक नजूल अधिकारी अंबिकापुर द्वारा शासकीय राजस्व कर्मचारियों से मिली भगत कर सुनियोजित साजिश के तहत उक्त बेशकीमती जमीन बंसू पिता भुट्कुल लोहार निवासी के नाम पर दर्ज कर दिया। इसके बाद भूमाफियाओं ने उस जमीन को टुकड़ों में अंबिकापुर शहर के पहुंच और प्रभावशाली व्यक्तियों को बेच दिया है। लगभग 60 करोड़ के इस शासकीय जमीन के फर्जीवाड़े में राजस्व कर्मचारियों को भी करोड़ों का हिस्सा दिया गया है।