★ 25 से बढ़कर 50 हजार प्रति शादी पर खर्च कर रही राज्य सरकार
अंबिकापुर। राज्य शासन की महत्त्वकांक्षी योजना के तहत अंबिकापुर में 440 जोड़ों का सामूहिक विवाह संपन्न हो गया। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की खुशियों में शामिल रहने सरकार की ओर एक विवाह पर 50 हजार रुपये दिए गए। उस अनुपात में सरकारी शादी का यह कार्यक्रम दो करोड़ 20 लाख रुपये का था। इसमें से 21-21 हजार रुपये प्रति जोड़े को नकद दिया गया। कुल 92 लाख रुपये ही नकद दिए गए। शेष एक करोड़ 28 लाख रुपये दूल्हा-दुल्हन के कपड़े, बर्तन, साजो-सामान तथा विवाह की व्यवस्था में खर्च हो जाना बताने के लिए बिल, वाउचर का खेल शुरू हो गया है। महिलाओं, बच्चों के जनकल्याण की योजनाओं का संचालन करने वाली महिला बाल विकास विभाग की कार्यशैली किसी से छिपी नहीं हैं। इसीलिए सामूहिक विवाह भी अब सवालों के घेरे में आ गया है।
योजना के तहत जब 25 हजार रुपये एक शादी में सरकार की ओर से दिया जाता था तो पतले टिन के चादर की एक पेटी, एक बेहद ही कमजोर छोटी से अलमारी, एक लोहे का तीन-चार खाने वाला रैक और कुछ बर्तन दिए जाते थे। अब प्रतिविवाह सरकारी मदद 50 हजार हो गई है। यानि दोगुनी रकम दी जा रही है लेकिन सामान वही घटिया किस्म का आज भी दिया जा रहा है।
विवाह के आयोजन में अतिथियों की आवभगत कर अधिकारी खुद को पाक साफ बताने की कोशिश करते हैं लेकिन हाकी स्टेडियम में आयोजित विवाह के दौरान नवदंपती को दी जा रही सामग्री सामने नहीं रखी गई थी, ऐसा होने पर सारा माजरा समझ में आ जाता।
बुधवार को नवदंपतियों के स्वजन कलेक्टोरेट स्थित महिला बाल विकास के कार्यालय आए थे। सामग्रियां यहीं रखी गई थी। एक आटो में दो नवदंपती का सामान लोड हो जा रहा था इसी से समझा जा सकता है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ने इस योजना में भी कमाई का कोई रास्ता नहीं छोड़ा।
आयोजन स्थल की अव्यवस्थाओं से दूल्हा-दुल्हन के साथ उनके स्वजन बेचैन थे। नेता, जनप्रतिनिधियों को खुश रखने अधिकारियों ने पूरी ताकत लगा दी थी। महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को आना था। वह भी नहीं आई। शायद उन्हें सरकारी शादी में भ्रष्टाचार की जानकारी मिल चुकी थी इसलिये उन्होंने इससे दूरी बनानी ही उचित समझी।
भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे रहने वाले महिला बाल विकास विभाग की सरकारी शादी चर्चा में आ गई है। शासन की महत्वपूर्ण योजना में भी कमाई का कोई रास्ता जिम्मेदार अधिकारियों ने नहीं छोड़ा है।सरगुजा कलेक्टर ऐसे मामलों में बेहद गंभीर हैं। यदि उन्होंने सरकारी शादी में हुई खरीदी की जांच कराई तो अधिकारी बुरे फंस सकते हैं। बिल-वाउचर का खेल भी उजागर हो सकता है। सड़क किनारे बिकने वाले कम दाम के चमकदार जूते-चप्पल को महंगे दामों में खरीदी का हिसाब निश्चित रूप से तैयार हो गया होगा। शादी के जोड़ों के नाम पर भी भारी भ्रष्टाचार का आरोप है। बेहद निम्न स्तर की सामग्री दी गई है। सरकारी शादी की व्यवस्था में जितनी राशि खर्च करनी बताई जा रही है उस अनुरूप कोई व्यवस्था ही नहीं थी। इसलिए जांच बेहद जरूरी है ताकि गड़बड़ी करने वालों की पहचान हो सके।