रामानुजगंज (thetarget365)। रामानुगंज सरहदी क्षेत्र की जीवनदायनी मानी जाने वाली कन्हर नदी के सूखने के 84 दिन के बाद बीते मध्य रात्रि पानी एनीकट तक पहुंचा। जिस प्रकार से पूरा नगर भीषण जल संकट से गुजर रहा था, अब उससे राहत मिलेगी। कन्हर नदी में पानी आने से जल स्तर में जहां सुधार होगा वही नियमित नगर पंचायत की जलप्रदाय व्यवस्था अब बाधित नहीं होगी।
गौरतलब है कि अप्रैल माह के पहले सप्ताह में कन्हर नदी पूर्णत सूख गई थी। जिसके बाद से ही नगर में लगातार जल संकट गहराते जा रहा था। स्थिति यह हो गई थी कि मई के दूसरे पखवाड़े एवं जून के प्रथम पखवाड़े में नगर में पानी के लिए हाहाकार मच गया। जैसे तैसे नगर पंचायत के द्वारा नदी में डबरी का निर्माण करवा कर नगर में जल आपूर्ति की गई। जून की पहले पखवाड़े से ही एक-एक दिन लोगों के लिए भारी पड़ रहा था। प्रतिदिन नगर के कुंआ एवं हैंडपंप सूखते जा रहे थे। कई हैंडपंप व कुंआ तो ऐसे थे जो कभी नहीं सूखा करते थे वह भी सूख गए। नगर पंचायत के द्वारा सुबह से लेकर देर शाम तक टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती रही। इस बीच बीती मध्य रात्रि एनीकट तक पानी पहुंचने से लोगों ने राहत की सांस ली।
पूजा-अर्चना के लिए नगरवासियों की लगी भीड़
कन्हर नदी गंगा के समान उत्तर वाहिनी है। कई दशकों पूर्व से क्षेत्रवासियों की गहरी आस्था कन्हर नदी से जुड़ी हुई है। 84 दिन के बाद जब नदी में पानी का आगमन हुआ तो आज सुबह से ही पूजा-अर्चना करने के लिए लोगों की भारी भीड़ कन्हर नदी में उमड़ी।
जशपुर के खुड़िया पठार से निकलती है कन्हर, कन्हर का पानी मिलता है गंगा में
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की सबसे बड़े नदियों में एक कन्हर नदी डेम जो तीन प्रदेशों के लोगों को लाभान्वित करती है। यह जशपुर के खुड़िया पठार से निकल सोनभद्र जिले में सोन नदी में मिलती है। जहां से सोन का पानी आगे चलकर गंगा नदी में मिलता है।
कन्हर के सूखने से सरहदी क्षेत्रो का जलस्तर चला गया था नीचे
कन्हर नदी के सूखने से छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के सरहदी क्षेत्र का जलस्तर काफी नीचे चला गया था। पहली बार ऐसी स्थिति निर्मित हुई थी कि जो हैंडपंप कुंआ जो कभी नही सूखा था वह भी सूख गया। कन्हर में पानी आने से रामानुजगंज सहित सरहद के किनारे बसे छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के लोगों ने राहत की सांस ली है।