अंबिकापुर @thetarget365 पैरामेडिकल कोर्स के नाम पर छत्तीसगढ़ में अवैध पैरामेडिकल संस्थाओं की बाढ़ सी आ गई है। प्रदेश में ऐसे कोर्स को चलाकर कुछ संस्थाएं चारागाह बनाकर मेहनत की कमाई को लूट का जरिया बना चुकी हैं। उक्त आरोप एनएसयूआई के जिला उपाध्यक्ष चन्दन गुप्ता ने लगाया है।
चंदन गुप्ता ने कहा कि हमारे प्रदेश में कुछ लोगों के द्वारा शिक्षा को व्यवसाय बना कर छात्रो के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से बिना शासन को सूचना दिए और बिना अनुमति लिए पैरामेडिकल संस्थानों का संचालन किया जा रहा है। कुछ कोचिंग संस्था व कुछ महाविद्यालय इसका संचालन कर रहे है उनके पास कोई अनुमति नहीं हैं। उनके द्वारा अन्य राज्यों का प्रमाण पत्र दिया जाता है। पढ़ाई छत्तीसगढ़ राज्य में करायी जाती है एवं छात्र-छात्राओं को परीक्षा के लिए दूसरे राज्य ले जाकर परीक्षा दिलवायी जाती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अन्य राज्यों के कोर्स का संचालन बिना शासन कि अनुमति से किया जा रहा है। जबकि नियम यह है कि कोई भी महाविद्यालय अन्य राज्यो के पाठ्यक्रम का संचालन अगर उस राज्य में करता है तो उसे उस राज्य के राज्य शासन की सम्बंधित विभाग से अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है।
चंदन गुप्ता ने आरोप लगाया कि शिक्षा माफिया गरीब बच्चों के पालकों का पैसे लूट रहे हैं। गरीब बच्चे इन शिक्षा माफिया से सामना नहीं कर सकते हैं। वह गरीब बच्चों को उलझा कर रखते हैं इससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद हो जाता है। इन शिक्षा माफियाओं का बड़े-बड़े नेताओं व अधिकारियों से सांठगांठ रहता है, जिस कारण गरीब बच्चों के पक्ष में सुनवाई की भी उम्मीद कम रहती है। गरीब बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रजिस्ट्रेशन के लिए चक्कर काटते रहते हैं। प्रदेश में लैब अटेंडेंट, ओटी तकनीशियन, ड्रेसर, एक्सरे तकनीशियन आदि पैरामेडिकल कोर्स के नाम पर ऐसे संस्थान संचालित हो रहे हैं, जिनके पास छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल से मान्यता है ही नहीं। गुप्ता ने आगे कहा कि ये कालेज मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के विश्वविद्यालय की मान्यता का दावा कर रहे हैं। यहां विज्ञापन और अन्य माध्यमों से छात्रों को भ्रमित कर उनसे सालाना 60 से एक लाख रुपये तक मोटी फीस लेकर प्रवेश देते हैं, लेकिन यहां न शिक्षा का ठिकाना है और न ही परीक्षा और डिग्री का छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त पैरामेडिकल सिर्फ 11 संस्था है। उन्होंने प्रशासन से ऐसे फर्जी पैरामेडिकल संस्थाओं की जांच कर कड़ी कार्यवाही की मांग की है जिससे गरीबों का आर्थिक व मानसिक दोहन बंद हो सके।