★ घटनास्थल पहुंच सांसद व अधिकारियोँ ने किया निरीक्षण
अंबिकापुर @thetarget365 मां कुदरगढ़ी एलुमिना हाइड्रेट प्लांट में हादसे के बाद दूसरे दिन सोमवार को सन्नाटा पसरा रहा है। हादसे के बाद यहां काम बंद है। सांसद और अधिकारियों ने प्लांट का अवलोकन कर कंपनी से जुड़े लोगों से चर्चा की। हादसे में मृत श्रमिकों का शव परिजनों के साथ उनके गृहग्राम भेज दिया गया है।
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सरगुजा जिले के लुंड्रा विकासखंड अंतर्गत ग्राम सिलसिला स्थित मां कुदरगढ़ी एलुमिना हाइड्रेट प्लांट में रविवार को हुए हादसे में 04 मजदूरों की मौत हो गई थी। जबकि पांच मजदूरों का इलाज मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में जारी है। हादसा उस समय हुआ था जब हापर टूटकर गिर गया था। हापर टूटने का कारण क्षमता से अधिक कोयला लोड करना था। उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य के साथ कंपनी द्वारा भूसा चलित हापर में कोयला भर दिया गया था। हापर में जहां तक भूसा भरा जाता था उतनी ही ऊंचाई तक कोयला भर देने के कारण भार अधिक हो जाने के कारण ही हापर नीचे गिर गया था। श्रमिकों ने बताया कि हापर में पहले कोयला एवं भूसा डाला जाता था। 10 दिन पहले एलुमिना का उत्पादन बढ़ाने के लिए हापर में सिर्फ कोयला डाला जाने लगा था। ओवरलोड से हापर गिर गया और बड़ी दुर्घटना हो गई।
प्लांट पहुंचे सांसद ने लापरवाही पर जताई नाराजगी
सरगुजा सांसद चिंतामणि महाराज ने सोमवार को मां कुदरगढ़ी एल्युमिना हाइड्रेट प्लांट में हुए हादसे का निरीक्षण किया। भूसा भरने वाले हापर में क्षमता से अधिक कोयला भर देने पर उन्होंने कड़ी नाराजगी जताई। घटना के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि जब तक इस पूरे घटना की जांच नहीं हो जाती तब तक किसी प्रकार का कोई काम यहां नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने तक किसी भी प्रकार से बाहरी लोगों का प्रवेश प्लांट क्षेत्र में न हो इसका ध्यान रखा जाए।
प्लांट में पसरा था सन्नाटा
जिस स्थल पर हापर टूटकर गिरा था, वहां से कोयला और दूसरे सामान काफी हद तक हटा दिया गया था। मलबा का कुछ हिस्सा अभी भी घटनास्थल पर ही मौजूद है। हापर गिरने के कारण बेल्ट में खिंचाव बढ़ने से बायलर का हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया था।
मृत श्रमिकों का शव गृहग्राम रवाना
हादसे में मृत श्रमिकों का शव कंपनी ने उनके परिजनों के साथ गृहग्राम रवाना कर दिया है। शव भेजने के लिए कंपनी ने दो एंबुलेंस की व्यवस्था की थी। मध्य प्रदेश के रहने वाले मृतक मनोज व प्रिंस का शव लेने रिश्तेदार आए हुए थे। जबकि झारखंड के गया जिले के करण व रमेशर का शव कंपनी में ही काम करने वाले उन्हीं के क्षेत्र के श्रमिकों के माध्यम से घर रवाना किया गया। प्रत्येक मृतक को कम्पनी ने 15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी है।
सुरक्षा प्रबंधक की पदस्थापना नहीं, रेस्क्यू हुई में लापरवाही
प्लांट में श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर कितनी लापरवाही बरती जा रही थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 300 से अधिक कर्मचारी यहां कार्यरत हैं इसके बाद भी तकनीकी सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा कोई भी अधिकारी यहां पदस्थ नहीं था। सुरक्षा मानकों की अनदेखी भी हादसे का कारण बना। यदि तकनीकी जानकार व सुरक्षा से जुड़े अधिकारी होते तो हापर में ओवरलोड कोयला शायद नहीं भरा जाता। हादसे के बाद रेस्क्यू आपरेशन में भी गंभीर लापरवाही बरती गई थी।
प्रकरण की जांच आरंभ कर दी गई है। हादसे के लिए जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरुद्ध निश्चित ही एफआइआर पंजीकृत होगा। पुलिस घटना के बाद से प्लांट के संचालकों के संपर्क में है। प्रयास किया जा रहा है कि पीड़ित परिवारों को ज्यादा से ज्यादा सहायता उपलब्ध कराई जा सके, इसके अतिरिक्त शासन की योजनाओं से भी पीड़ित परिवार के सदस्यों को लाभान्वित करने का प्रयास किया जाएगा।
योगेश पटेल
एसपी सरगुजा