अंबिकापुर @thetarget365 बलरामपुर जिले की प्रसूता व शिशु की मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मातृ एवं शिशु अस्पताल में मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन के द्वारा बच्चादानी फटने के कारण मौत होने की जानकारी दी जा रही है, वहीं मृतिका के स्वजन जोर से पेट दबाने सहित अन्य गंभीर आरोप लगा रहे हैं। पुलिस ने मृत महिला के शव का पोस्टमार्टम कराया है, ताकि वास्तविकता सामने आ सके।
जानकारी अनुसार बलरामपुर जिला के शंकरगढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम करासी की गर्भवती महिला मुनिया तिर्की पति हरिवंश तिर्की 36 वर्ष को प्रसव पीड़ा होने पर 10 सितम्बर को स्वजन नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र भरतपुर लेकर गए थे। यहां से जांच के बाद चिकित्सक ने शंकरगढ़ स्वास्थ्य केन्द्र ले जाने कहा था। गर्भवती महिला की मां नवरी बाई, डेढ़सास फूलमती व फुआ सावित्री बखला का कहना है कि शंकरगढ़ अस्पताल से मुनिया को जांच के बाद यह कहते हुए रेफर कर दिया कि यहां ऑपरेशन की सुविधा नहीं है। स्वजन का कहना है कि शंकरगढ़ अस्पताल में जच्चा-बच्चा के पूरी तरह से स्वस्थ्य होने की जानकारी दी गई थी।
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स्वजन मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर पहुंचे, यहां रात 11.30 बजे महिला को चिकित्सकों ने भर्ती कर लिया था। महिला के पहले से दो बच्चे हैं, जिनका जन्म सामान्य प्रसव से हुआ है। ऐसे में चिकित्सकों ने कहा था कि सामान्य प्रसव की कोशिश रहेगी। इंतजार के बाद भी जब प्रसव पीड़ा की स्थिति नहीं बनी, तो चिकित्सक ने 11 सितम्बर को सुबह 5 बजे सामान्य प्रसव कराने का प्रयास किया। प्रसव नहीं होने पर बाद में ऑपरेशन करके मृत बच्चे को गर्भ से बाहर निकाला गया। बच्चे का शव उसके पिता को सौंप दिया गया था। मृत बच्चे को लेकर पिता अपने गृहग्राम में अंतिम संस्कार करने चले गया था। महिला बेहोशी की हालत में थी, उसके होश में आने का चिकित्सक इंतजार कर रहे थे। 12 सितम्बर को दिन में 10.17 बजे चिकित्सक ने उसे भी मृत घोषित कर दिया। स्वजन बच्चे के बाद महिला की मौत को लेकर असंतुष्ट रहे। इन्होंने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए मृतिका के शव का पोस्टमार्टम कराया है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद स्वजन को सौंप दिया है।
इलाज में लापरवाही का लगाया आरोप
मृतिका की मां नवरी बाई, डेढ़सास फूलमती व अन्य रिश्तेदारों का आरोप है कि मितानिन के देखरेख में जच्चा-बच्चा स्वस्थ्य रहें, इसके लिए वे सभी एहतियात बरत रहे थे। भरतपुर, शंकरगढ़ के बाद अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाने तक गर्भवती महिला स्वस्थ्य रही और बातचीत कर रही थी। बच्चा भी पेट के अंदर घूम रहा था, इसके बाद दोनों की मौत किन परिस्थितियों में हुई, यह जांच का विषय है। इनके द्वारा इलाज के नाम पर महिला से किए जा रहे अव्यवहारिक बर्ताव को लेकर भी नाराजगी जताई तो गुस्सा दिखाते हुए गर्भस्थ बच्चे के साथ सोई महिला के पेट में तत्समय मौजूद डॉक्टर ने जोर से मारा था। लड़की चिल्ला रही थी, अंदर जाने के बाद इस नजारे को उन्होंने देखा था। जब उन्होंने मारने का कारण पूछा तो वो गुस्से में बात करने लगी और बाहर जाने के लिए कहा।
जच्चा-बच्चा के मौत के विषय में मैंने गायनिक विभाग के एचओडी व चिकित्सकों से जानकारी ली है। ऑपरेशन हुआ तो पता चला कि महिला का बच्चादानी फट गया है। ऐसी परिस्थिति बच्चा के नीचे नहीं सरकने की स्थिति में बनती है। महिला का ब्लडप्रेशर भी लो था और खून की भी कमी थी। स्वजन उनके पास नहीं पहुंचे हैं और न ही किसी प्रकार का आरोप लगाया है।
डॉ. आरसी आर्या
अधीक्षक
मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर