अंबिकापुर @thetarget365 छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का लखनपुर वनपरिक्षेत्र अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन हाल ही में यहां बड़े पैमाने पर अवैध रूप से लकड़ी कटाई और तस्करी का मामला सामने आया है। स्थानीय अधिवक्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट डा. डीके सोनी ने आरोप लगाया है कि वन विभाग और राजस्व विभाग की मिलीभगत से हजारों पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है, और यह लकड़ी बिना किसी अनुमति के उत्तर प्रदेश होते हुए हरियाणा तक भेजी जा रही है।
वन विभाग और राजस्व विभाग के बीच जिम्मेदारी टालने का खेल
इस अवैध कटाई की शिकायत जब डीएफओ अंबिकापुर से की गई तो उन्होंने इसे राजस्व विभाग का मामला बताया, वहीं जब राजस्व विभाग से संपर्क किया गया तो उन्होंने इसे वन विभाग का विषय कहकर पल्ला झाड़ लिया। इससे साफ जाहिर होता है कि दोनों विभागों की मिलीभगत से लकड़ी तस्करों को खुली छूट मिल रही है।
लकड़ी कटाई के बाद कोयला निर्माण भी जारी
सूत्रों के अनुसार, सिर्फ लकड़ी कटाई ही नहीं, बल्कि तस्कर पेड़ों की टहनियों को जलाकर कोयला भी बना रहे हैं। इस कार्य के लिए 10-15 स्थानों पर बड़े-बड़े चिमनीनुमा भट्ठे बनाए गए हैं, जहां दिन-रात लकड़ी जलाकर कोयला तैयार किया जा रहा है और बेचा जा रहा है।
इन इलाकों में खुलेआम डंप की जा रही लकड़ी
सूचना के अनुसार, लखनपुर के जय दुर्गा राइस मिल के पास, गौरव पथ के ब्रिक्स मोड़, देवगढ़ जाने वाले रास्ते, अंधला और गोरता में हजारों पेड़ों की लकड़ी डंप की गई है। यह लकड़ी अवैध रूप से काटी गई है और बिना किसी बीट पास या परमिट के तस्करी के लिए तैयार की जा रही है।
प्रशासन की चुप्पी से उजड़ रहा सरगुजा का वन क्षेत्र
अवैध कटाई और तस्करी से सरगुजा के प्राकृतिक संतुलन को भारी नुकसान हो रहा है। प्रशासन की चुप्पी पर सवाल खड़े होते हैं कि आखिर किसके संरक्षण में यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है? यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो आने वाले समय में यह वन क्षेत्र उजड़ सकता है।
सरगुजा की जनता और पर्यावरण प्रेमियों से अपील
इस मुद्दे पर स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों को जागरूक होकर आवाज उठाने की जरूरत है। सरकार और संबंधित विभागों को तत्काल प्रभाव से इस तस्करी पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि सरगुजा की प्राकृतिक धरोहर को बचाया जा सके।