इंदौर@thetarget365 : दुष्कर्मियों की हैवानियत ने उसे पहले ही तोड़कर रख दिया था। मंगलवार को जैसे-तैसे उपचार की आस लिए अस्पताल पहुंची तो यहां भी उसके जख्मों को मरहम नहीं मिला। डॉक्टर उसे मेडिकल जांच के लिए अस्पताल-अस्पताल भटकाते रहे। पीसी सेठी अस्पताल पहुंची तो मेडिकोलीगल केस (एमएलसी) का हवाला देकर एमटीएच अस्पताल भेज दिया।
यहां के डॉक्टरों ने कह दिया कि पीसी सेठी अस्पताल में बहुत स्टाफ है, वहीं जाओ। पीड़िता फिर वहां पहुंची। अबकी बार वहां के स्टाफ ने उससे कहा कि डॉक्टर दोपहर ढाई बजे बाद आएंगे, तुम्हें इंतजार करना पड़ेगा। आखिर साढ़े पांच घंटे भटकने के बाद दोपहर तीन बजे पीड़िता की मेडिकल जांच हो सकी।
सरकारी अस्पतालों का बुरा हाल
यह उदाहरण इस बात का है कि लापरवाही की दीमक किस कदर हमारे सिस्टम को खोखला कर चुकी है। सरकार कितने ही दावे करे, लेकिन वास्तविकता यही है कि आज भी सरकारी अस्पताल में उपचार के नाम पर एक आम आदमी कांप जाता है।
इस छवि के लिए सिर्फ सरकार जिम्मेदार हो ऐसा भी नहीं है। दरअसल जिन कंधों पर इन सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी है, जो कंधे इस जिम्मेदारी के लिए मोटी तनख्वाह पाते हैं, वे खुद इतने लचर हैं कि न वे समय पर अस्पताल पहुंच रहे हैं, न अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
भटकती रही पीड़िता
खुड़ैल थाने में 35 वर्षीय महिला ने कुछ दिन पहले एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज करवाया था। मंगलवार सुबह 9.30 बजे महिला पुलिसकर्मी के साथ पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए पीसी सेठी अस्पताल लाया गया। यहां कोई ड्यूटी डॉक्टर ही नहीं मिला, जबकि एक महिला डॉक्टर की यहां आनकाल ड्यूटी थी। यहां से पीड़िता को एमटीएच अस्पताल भेजा गया, वहां भी मेडिकल नहीं हुआ। उसे कहा गया कि पीसी सेठी अस्पताल जाओ। पीड़िता करीब एक बजे वहां पहुंची, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं था। स्टाफ ने कहा कि ढाई बजे डाक्टर आएंगे, उसके बाद ही मेडिकल जांच होगी। आखिर तीन बजे उसकी जांच हो पाई।