Samagra Shiksha Scam : छत्तीसगढ़ में समग्र शिक्षा के तहत व्यवसायिक शिक्षा भर्ती में हुए कथित घोटाले को लेकर राष्ट्रीय छात्र संघ पार्टी (NSUI) ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। NSUI ने कहा है कि लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है, और सरकार की इस प्रक्रिया में मिलीभगत का आरोप लगाया है। प्रदेश उपाध्यक्ष अमित शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह मामला सुनियोजित तरीके से किया गया भ्रष्टाचार है, जिसमें भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की पूरी तरह से अनदेखी की गई है।
बिना मेरिट और परीक्षा, केवल स्टांप पेपर पर भर्ती
NSUI ने अपनी शिकायत में यह भी दावा किया कि भर्ती में बिना किसी परीक्षा और मेरिट के युवाओं को चुना गया। पार्टी का कहना है कि अज्ञात कॉलेजों में एक ही दिन में परीक्षा आयोजित की गई, न तो मेरिट सूची जारी की गई और न ही उम्मीदवारों के अंकों का कोई विवरण प्रदान किया गया। इसके अलावा, चयनित उम्मीदवारों से मात्र ₹10 के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट करवाया गया, जो एक तरह से उन्हें भ्रष्टाचार के दलदल में धकेलने जैसा था।
फर्जीवाड़ा और रिश्वतखोरी का आरोप
NSUI के ज्ञापन में यह आरोप भी लगाया गया है कि लगभग 40,000 युवाओं को धोखा दिया गया है। पार्टी ने कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से एजेंटों द्वारा संचालित की गई, जिसमें ₹3 से ₹4 लाख की रिश्वत लेकर उम्मीदवारों को नौकरी दी गई। इसके साथ ही, चयनित उम्मीदवारों की मार्कशीट और दस्तावेजों में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, और सात प्राइवेट कंपनियों को भर्ती के लिए ठेका दिया गया था।
रिश्तेदारों को मिली सीधी नियुक्ति
NSUI का आरोप है कि भर्ती के दौरान अधिकारियों के रिश्तेदारों को बिना मेरिट के सीधी नियुक्तियां दी गईं, जबकि योग्य उम्मीदवारों को भर्ती से बाहर रखा गया। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान सेवा देने वाले नर्सिंग, हेल्थ, आईटी और कंप्यूटर ट्रेड के युवाओं को सरकार की घोषणा के बावजूद 10% आरक्षण और प्राथमिकता नहीं दी गई। मेल, दस्तावेज और निवेदन होने के बावजूद प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।
NSUI की प्रमुख मांगें: भर्ती रद्द कर CBI जांच कराई जाए
NSUI ने छत्तीसगढ़ सरकार के सामने पूरी भर्ती प्रक्रिया को तत्काल रद्द करने, कोरोना योद्धाओं को प्राथमिकता देने, और 40,000 उम्मीदवारों की मेरिट सूची सार्वजनिक करने की मांग रखी है। इसके अलावा, पार्टी ने फर्जी दस्तावेजों की उच्चस्तरीय जांच करने और दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि NSUI ने CBI और EOW से इस मामले में आर्थिक भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की है, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
28 जुलाई को ताला बंद आंदोलन का ऐलान
NSUI ने सरकार को पूरे मामले पर कार्रवाई करने के लिए 28 जुलाई तक का समय दिया है। पार्टी का कहना है कि अगर उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो समग्र शिक्षा कार्यालय में ताला बंद आंदोलन किया जाएगा। इसके अलावा, अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो NSUI प्रदेशभर में उग्र आंदोलन की योजना भी बना सकती है।
सक्रिय छात्र नेता और कार्यकर्ता आंदोलन में शामिल
ज्ञापन देने के दौरान NSUI के प्रमुख नेता जैसे प्रशांत गोस्वामी (जिलाध्यक्ष), निखिल वंजारी (प्रदेश महासचिव), अजय त्रिपाठी, योगराज देवांगन, नजीब असरफी और वैभव मुजेवार सहित कई अन्य छात्र कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। उन्होंने सरकार से इस गंभीर मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई की अपील की और यह सुनिश्चित करने की बात की कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
क्यों हो रही है इतनी बड़ी हंगामा?
समग्र शिक्षा के तहत हुई इस भर्ती में अगर NSUI के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह घोटाला न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देशभर में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। 40,000 युवाओं के साथ कथित धोखाधड़ी और भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा एक गंभीर मामला है, जिसमें सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है। इस मामले में अगर उच्चस्तरीय जांच नहीं की गई तो युवाओं के साथ-साथ सरकार की छवि पर भी सवाल उठ सकते हैं।
राज्य सरकार के लिए चुनौती
इस मामले में सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है। जहां एक ओर विपक्ष और छात्र संगठन सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, वहीं सरकार को अपने अधिकारियों और प्रक्रियाओं की जांच कर यह सुनिश्चित करना होगा कि युवाओं के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हुआ हो। साथ ही, सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे घोटाले भविष्य में न हों और भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से चलाए जाएं।
छत्तीसगढ़ में समग्र शिक्षा के तहत हुई इस भर्ती में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। NSUI ने सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की जाए और जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। अगर सरकार ने त्वरित और प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो छात्र संगठन ने आंदोलन की चेतावनी दी है, जिससे राज्य सरकार के लिए संकट और बढ़ सकता है। यह घोटाला अगर सही साबित होता है, तो न केवल छत्तीसगढ़ की बल्कि पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था के प्रति विश्वास को नुकसान पहुंचा सकता है।