सीतापुर (सरगुजा)। नदी में नहाने गए 13 वर्षीय बालक की डूबने से मौत हो गई। मृतक अपने माता पिता का इकलौता बेटा था। इस घटना के बाद से माता पिता एवं परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
प्राप्त जानकारी अनुसार क्षेत्र की आराध्य देवी मंगरेलगढ़ीन मंदिर परिसर में साप्ताहिक भागवत कथा का आयोजन किया गया था। जहाँ सीतापुर निवासी शिवम कुमार गुप्ता आ. अमित गुप्ता भी अपने परिजनों के साथ भागवत कथा में शामिल होने गया था। इस दौरान शिवम अपने परिजनों संग गुरुवार की रात कथा स्थल पर ही रुक गया था। अगली सुबह वो 7-8 बजे के बीच बिना किसी को बताए मंगरेलगढ़ स्थित मांड नदी में नहाने चला गया। काफी देर तक जब वो कही नजर नही आया तब परिजनों को उसकी चिंता होने लगी। जिसके बाद उसके पिता एवं परिजन उसकी तलाश करने लगे। इसी दौरान उन्हें नदी किनारे बालक का कपड़ा पड़ा हुआ मिला। किसी अनहोनी की आशंका पर परिजन संग आये लोगो ने पानी के अंदर उसकी तलाश शुरू कर दी। काफी देर तक तलाशने के बाद बालक पानी के अंदर डूबा मिला। जिसे तत्काल पानी से बाहर निकाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जहाँ निरीक्षण के बाद डॉक्टर ने बालक को मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद मृतक का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया।कक्षा सातवीं का छात्र शिवम माता पिता का इकलौता बेटा था। जिसके असामयिक मृत्यु से माता पिता एवं परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है।
★ घण्टों इंतजार करना पड़ा पोस्टमार्टम के लिए
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमार्टम करने वाले मेहतर के अभाव में पीड़ित परिवार को पोस्टमार्टम के लिए घंटो इंतजार करना पड़ा। ऐसा पहली बार नही हुआ है कि पोस्टमार्टम के लिए लोगो को इंतजार करना न पड़ा हो। इससे पहले भी मेहतर के अभाव में लोगो को हॉस्पिटल में घँटों इंतजार करना पड़ा है।जब भी कोई मौत होती है तो उसके पोस्टमार्टम के लिए मेहतर बतौली से बुलाया जाता है। समय पर आ गया तो ठीक नही तो जब तक वो नही आता शव का पोस्टमार्टम नही होता है। हॉस्पिटल में यह भर्राशाही विगत कई सालों से चल रहा है।यहाँ पोस्टमार्टम के लिए पदस्थ मेहतर की सेवानिवृत्त होने के बाद स्वास्थ्य विभाग आज तक यहाँ मेहतर की नियुक्ति नही कर पाई है। जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दायरा काफी बड़ा होने के कारण यहाँ रोज पोस्टमार्टम के लिए शव लाये जाते है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग मेहतर की नियुक्ति को लेकर सालो से उदासीन बना बैठा है। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
कई लोगों को निगल चुका है मंगरेलगढ़ का मांड नदी
मंगरेलगढ़ से होकर बहने वाली मांड नदी अब तक कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है।यह नदी अपने आप में एक रहस्य है जिसके बारे में कई तरह की कहानियां प्रचलित है।इस नदी में कई ऐसे खतरनाक दह है जिसकी चपेट में आने के बाद किसी का बचना नामुमकिन है। पिछले सात-आठ महीना पहले इसी नदी में सीतापुर के एक बालक की डूबने से मौत हो गई थी। इसके अलावा भी यहाँ डूबने की कई घटनाएं हो चुकी है। इतना कुछ होने के बाद भी वहाँ कोई सांकेतिक चिन्ह नही लगाया गया है। जो नदी में खतरनाक एवं जानलेवा हो चुकी दह को चिन्हांकित कर लोगो को खतरे से आगाह कर सके।