अंबिकापुर। हजारों हरे-भरे पेड़ काटकर सरगुजा की हरियाली को नष्ट करने वाली अदाणी कंपनी ने अब लोगों को रोजी-रोजगार देने का दावा शुरू कर दिया है। यहां की हरियाली को नेस्तनाबूद कर कंपनी ने एक सेनेटरी मशीन लगाकर महिलाओं को रोजगार देने का दावा किया है। अदाणी कंपनी के कथित अधिकारियों ने आज एक विज्ञप्ति जारी कर महिलाओं को रोजगार देने का किस तरह स्वांग रचा है..! उनकी यह हास्यास्पद विज्ञप्ति पढ़िए.!
यह है हजारों पेड़ काटकर सेनेटरी मशीन लगा रोजगार देने का दावा
सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से संचालित एक मात्र सैनेटरी पैड उत्पादन केंद्र क्षेत्र की किशोरियों और महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। महिला बहुउद्देशीय सहकारी समिति (मब्स) की महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे सैनेटरी पैड उत्पादन केंद्र ने, न सिर्फ आसपास की जरूरत मंद महिलाओं को रोजगार का सृजन कर आत्मनिर्भर बनाया है, अपितु गांवों में भी माहवारी सुरक्षा के लिए किशोरियों और महिलाओं को जागरूक कर रहा है।
सरगुजा क्षेत्र के समुदायों में मासिक धर्म के दौरान गंदे कपड़े और अन्य वस्तुओं का उपयोग करने की आदतों को बदलने अदाणी फाउंडेशन द्वारा माहवारी के दिनों में स्वच्छता हेतु सुरक्षात्मक कदम उठाने की मुहिम चलायी गई। जिसके तहत आस-पास के गांव परसा, साल्ही, बासेन, तारा, घाटबर्रा, फतेहपुर, शिवनगर और डांडगांव सहित कुल 12 सरकारी माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में मासिक धर्म स्वच्छता के कदम के तहत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ ही स्कूल की किशोरी बालिकाओं के माहवारी सुरक्षा के लिए स्कूलों में मुश्कान के नाम से निःशुल्क सैनेटरी पैड का वितरण के साथ साथ वेंडिंग मशीन भी लगाए जा रहे है। वहीं पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से इनके निस्तारण हेतु इन्हीं स्कूलों में इन्सिनरेटर मशीन भी लगायी गयी है। इस पहल का मकसद यह है की सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीनों से स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियां और शिक्षिकाएं अपनी मां, बहन, रिश्तेदार या स्वयं के लिए आसानी से सैनिटरी पैड प्राप्त कर सकें तथा इसका निपटान करके पर्यावरण को भी सुरक्षित रख सकें।
दरअसल महिलाओं को आय सृजन की विभिन्न गतिविधियों में शामिल करने के उद्देश्य से इस केंद्र को साल 2018 में ग्राम गुमगा, परसा, साल्ही, बासन और केते गांवों की कुल 05 महिलाओं के साथ शुरूआत की गई थी। अदाणी फाउंडेशन द्वारा इन सभी महिलाओं को सैनिटरी पैड बनाने के लिए मशीन पर प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया गया और उसके बाद अदाणी फाउंडेशन द्वारा मब्स को प्राथमिक मदद के तौर पर लगभग सात लाख रुपए की लागत से सैनिटरी पैड बनाने की मशीन स्थापित की गई है। इसके साथ ही कच्चे माल की लिए भी एकमुश्त सहायता भी प्रदान करता है। इस पहल के अंतर्गत हो रहे 3,000 सैनेटरी पैड के उत्पादन को मिली उत्साहजनक मांग के चलते आने वाले दिनों में इसे और भी बढ़ाने की योजना है। उल्लेखनीय है, कि मब्स की इन्हीं महिला सदस्यों ने सैनिटेरी पैड बनाने मे प्रशिक्षित महिलाओं के साथ मिलकर कोविड महामारी के दौरान थोड़े ही समय में इसी कच्चे माल से हजारों मास्क बनाकर छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्र में उपलब्ध करवाए थे जिससे लोगों को और प्रशासन को राहत मिली थी।
“हमारे क्षेत्र मे सैनिटेरी पैड जैसी चीजों के बारे मे जागरूकता कम है और हम भी हमारी बुजुर्ग महिलाओ की तरह पारंपरिक कपड़े का प्रयोग माहवारी के दिनों में करते आ रहे है। परंतु मब्स और अदाणी फाउंडेशन के प्रयास के चलते अब शहरी युवतियों की तरह हम भी गुणवत्ता वाले सैनेटरी पैड किफायती दाम पर ले सकते है। जिन्हे दुकानदार से सैनिटेरी पैड खरीदने मे झिझक हो वह अब वेंडिंग मशीन से भी यह प्राप्त कर सकते है,” मब्स के बनाए मुश्कान सैनिटेरी पैड की एक 19 साल की उपभोक्ता ने बताया।
केंद्र की प्रमुख और उदयपुर में रहने वाली श्रीमती रजनी श्रीवास्तव ने बताया कि, “वर्तमान में हम चार महिलाएं इस केंद्र में पैड बनाने का कार्य करती हैं। इस उत्पादन केंद्र से हर महीने लगभग 3000 सेनेटरी पैड का उत्पादन किया जाता है। उत्पादन के बाद इसके प्रसार और प्रचार के लिए हम मब्स की महिलाओं द्वारा अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से स्कूलों में मुफ़्त वितरण के अलावा, बाजार मे मिल रहे देशी विदेशी कंपनी से मुश्कान सैनेटरी पैड सिर्फ करीब 30% सस्ता है। इसके साथ ही फाउंडेशन द्वारा अपने सीएसआर के तहत आसपास के गांव और स्कूलों में महिलाओं और लड़कियों को स्वास्थ्य जागरूकता शिविरों के दौरान मुफ्त वितरण किया जाता है ताकि वे इसके उपयोग और लाभों को समझ सकें।“
उत्पादन केंद्र में कार्य कर रही ग्राम केते की संत बाई एक बच्चे की माँ है। सैनेटरी पैड उत्पादन के चलते उन्हे मिल रहे रोजगार पर संत बाई का कहना है कि, मेरे पति की मृत्यु तीन साल पहले एक दुर्घटना में हो गई थी। इसके बाद मुझे जीवन यापन के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। अब मैं इस केंद्र में पिछले दो साल से कार्य कर रही हूँ। इससे मुझे बहुत बड़ी मदद मिली हैं। मुझे बहुत खुशी है कि मुझे अच्छी आमदनी करने के साथ अब आत्मनिर्भर भी हो गई हूँ। ”
मब्स की अध्यक्ष श्रीमती अमिता सिंह ने बताया कि, “महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार लाने के लिए सैनिटरी पैड निर्माण इकाई और सैनिटरी पैड विनष्ट करने वाले यंत्र खदान प्रभावित गांवों में इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं। इस इकाई का संचालन अदाणी फाउंडेशन के मार्गदर्शन और सहयोग से ग्राम परसा की एक महिला सहकारी समिति, महिला उद्यमी बहुउद्देशीय सहकारी समिति (मब्स) द्वारा किया जा रहा है। मब्स में वर्तमान में आसपास के ग्रामों की 250 अधिक महिलाएं सदस्य हैं, जबकि की 60 से अधिक महिलाएं अपनी आजीविका के लिए इनकी विभिन्न इकाइयों में कार्यरत हैं। जिनमें मसाला निर्माण, फिनायल तथा हैंडवाश निर्माण, मशरूम उत्पादन, दूध डेयरी, दीदी की रसोई इत्यादि शामिल है। गांव की इस बहुउद्देशीय महिला उद्यमी सहकारी समिति की सभी इकाइयों को मिलाकर सालाना आय लगभग डेढ़ करोड़ से ऊपर की हो गई है।“