रायपुर। आयकर अन्वेषण विंग ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के पूर्व कद्दावर मंत्री अमरजीत भगत सहित उनके करीबियों के यहां लगातार छापेमार कार्यवाही की थी। इस कार्यवाही में एक बड़े जमीन घोटाले का पर्दाफाश भी हुआ था। सरगुजा, सूरजपुर जिला प्रशासन से मिली जानकारी के बाद पूर्व खाद्य मंत्री पर बांग्लादेशी शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए बनी सरकारी जमीन हड़पने का आरोप लगा है। आयकर विभाग ने इसे संज्ञेय अपराध बताते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को अमरजीत भगत के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पत्र प्रेषित किया है।
मिली जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग ने इस वर्ष 31 जनवरी से 5 फरवरी तक पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और उनके करीबियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की थी। इसमें रायपुर, सरगुजा में जमीन खरीदी के दस्तावेज तलाशी में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की गई। जब्ती के आधार पर आयकर विभाग ने पूर्व कांग्रेस मंत्री भगत के खिलाफ विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में आए बांग्लादेश के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए बनी सरकारी जमीन पर कब्जा करके संपत्ति अर्जित करने के लिए सत्ता के व्यवस्थित दुरुपयोग की ओर इशारा किया गया है। बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को अंबिकापुर के सुभाष नगर क्षेत्र में और उसके आसपास जमीन आवंटित की गई थी। आयकर विभाग के प्रधान निदेशक कार्यालय से भेजे गए पत्र में पीडीआईटी (जांच) सुनील कुमार सिंह ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन का ध्यान इन चौंकाने वाले खुलासों की ओर आकर्षित किया है। पत्र की एक प्रति पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक जुनेजा को भी भेजी गई है। पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू), अटल नगर, नया रायपुर में 1 फरवरी को जारी 35 पन्नों के एक विज्ञप्ति में मुख्य सचिव का ध्यान आकर्षित करते हुए इसे ‘स्वतः स्पष्ट’ बताया गया है तथा इसे ‘संज्ञेय अपराध’ के रूप में रेखांकित किया गया है। आयकर तलाशी अभियान के निष्कर्षों को संज्ञान में लाने वाले पत्र में राज्य सरकार से आवश्यक सत्यापन तथा जांच करवाने के पश्चात उचित कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया है।
तलाशी कार्रवाई के संबंध में आयकर विभाग के प्रमुख निष्कर्षों से पता चला है कि किस प्रकार अंबिकापुर जिला कांग्रेस कमेटी शहरी के महासचिव राजीव अग्रवाल ने तत्कालीन मंत्री अमरजीत भगत से निकटता के कारण जिला कलेक्टर से अनुमति प्राप्त कर बहुत कम कीमत पर ‘बंगाली पट्टा’ खरीदने का सिंडिकेट चलाया। बाद में उन्हीं ‘बंगाली पट्टा’ भूमि को भगत के रिश्तेदारों सहित अन्य व्यक्तियों को बहुत अधिक / प्रीमियम कीमतों पर बेच दिया गया। यह सब संभव हो पाया, क्योंकि अग्रवाल, जो लकड़ी मिल और फर्नीचर शोरूम के मालिक भी हैं। राजीव अग्रवाल भगत के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के कारण मजबूत राजनीतिक पकड़ रखते थे। छत्तीसगढ़ में बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान भगत को संपूर्ण शक्ति प्राप्त थी।
स्वेता कमलेश पाटिल, उप निदेशक आयकर, डीडीआईटी, (जांच) द्वारा संकलित रिपोर्ट रितुपर्ण नामदेव, अतिरिक्त निदेशक आयकर, एडीआईटी (जांच) को सौंपी गई, जिन्होंने इसे औपचारिक रूप से पीडीआईटी सुनील कुमार सिंह को 4 फरवरी, 2024 को पुष्टि दस्तावेजों और दर्ज बयानों के साथ प्रस्तुत किया।