■ कांग्रेस-भाजपा में शुरू हुई सियासी जंग
अंबिकापुर @thetarget365 देश-विदेश में चर्चा में रह चुका अंबिकापुर का गार्बेज कैफे अब बंद होने जा रहा है। नगर निगम की नई एमआईसी बैठक में इसे कांग्रेस का दिखावा बताते हुए बंद करने का फैसला लिया गया है। इस निर्णय के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है और कांग्रेस-भाजपा के बीच बयानबाजी तेज हो गई है।
क्या था गार्बेज कैफे का उद्देश्य ?
अंबिकापुर को प्लास्टिक मुक्त करने की पहल के तहत पूर्व कांग्रेस सरकार ने गार्बेज कैफे की शुरुआत की थी। नया बस स्टैंड स्थित इस कैफे में 1 किलो प्लास्टिक कचरे के बदले भोजन और आधा किलो प्लास्टिक देने पर नाश्ता दिया जाता था। यह योजना लोगों को प्लास्टिक कचरा एकत्र करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
SLRM सेंटर की दीदियों ने जताई आपत्ति
गार्बेज कैफे को बंद करने के फैसले पर SLRM सेंटर की दीदियों ने नाराजगी जताई। उनका कहना है कि आज भी लोग प्लास्टिक कचरा लेकर भोजन और नाश्ते के लिए पहुंचते हैं। यह योजना पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए कारगर साबित हो रही थी, लेकिन इसे बंद करने का निर्णय हैरान करने वाला है। SLRM सेंटर प्रभारी सोनस्ती टोप्पो ने कहा कि इस योजना का लाभ गरीबों को मिल रहा था और इसे बंद करना उचित नहीं है।
भाजपा-कांग्रेस में जुबानी जंग शुरू
नगर निगम की बैठक में भाजपा ने इस योजना को कांग्रेस का दिखावा बताया। MIC सदस्य मनीष सिंह ने कहा कि यह सिर्फ प्रचार का एक तरीका था, जिससे जनता को गुमराह किया गया। दूसरी ओर, कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर यह योजना गलत थी, तो स्वच्छता के क्षेत्र में अंबिकापुर को मिले अवार्ड वापस कर देने चाहिए।
पूर्व महापौर डॉ. अजय तिर्की ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “जिस गार्बेज कैफे से अंबिकापुर का नाम देश-विदेश तक पहुंचा, उसे दिखावा कहकर बंद किया जा रहा है। भाजपा हमेशा जनता को गुमराह करने का काम करती है।” महापौर मंजूषा भगत ने कहा कि शहर को स्वच्छता में नंबर वन बनाए रखना प्राथमिकता है, लेकिन गार्बेज कैफे को लेकर अब तक कोई ठोस योजना नहीं बनी है।
गार्बेज कैफे को बंद करने की घोषणा के बाद से ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस इसे भाजपा की विफलता बता रही है, तो वहीं भाजपा इसे पूर्व सरकार की बेकार योजना करार दे रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर नगर निगम और राजनीतिक दलों के बीच खींचतान और बढ़ सकती है।
अंबिकापुर के गार्बेज कैफे को बंद करने के निर्णय ने स्वच्छता मॉडल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर निगम इस योजना को बंद करने के बाद प्लास्टिक मुक्त अभियान के लिए क्या नया कदम उठाता है।