खबर का असर
प्रतापपुर (thetarget365)। सूरजपुर जिला अंतर्गत जनपद पंचायत प्रतापपुर के ग्राम गोविंदपुर में मनरेगा योजना के तहत एक पुराने तालाब के गहरीकरण के नाम पर हुई पांच लाख की बंदरबांट का मामला सामने आने के बाद गठित हुई जांच टीम ने मामले की पड़ताल शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि जनपद पंचायत प्रतापपुर की गोविंदपुर पंचायत में हुए पांच लाख के इस भ्रष्टाचार के मामले को “Thetarget365″ ने 20 जून को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद जिला पंचायत सीईओ कमलेश नंदिनी साहू ने “Thetarget 365″ की खबर पर तत्काल संज्ञान लेते हुए 21 जून को जनपद सीईओ प्रतापपुर को मौके पर जाकर पूरी गंभीरता से जांच करने के सख्त निर्देश दिए थे।
जिला पंचायत सीईओ साहू के सख्त निर्देश को तत्काल अमल में लाते हुए जनपद पंचायत प्रतापपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) राधेश्याम मिर्झा, मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी प्रेमसाय पैकरा, आरईएस की एसडीओ लवली सिंह, उप अभियंता ब्रिजेश कुमार नरेश व तकनीकी सहायकों की टीम गोविंदपुर के उस पुराने तालाब पर पहुंची जिसका गहरीकरण करने को मनरेगा योजना के तहत मिले पांच लाख रुपए की सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक व मेट ने मिलकर बंदरबांट कर ली थी।
जनपद पंचायत प्रतापपुर की टीम बंदरबांट के आरोपों से घिरे पंचायत कर्मियों की उपस्थिति में तालाब की जांच कर ही रही थी कि तभी इसकी जानकारी स्थानीय ग्रामीणों को मिली। जानकारी मिलते ही ग्रामीण महिलाएं व पुरुष भी मौके पर पहुंचे और जांच टीम से सवाल कर कहने लगे कि बताइए इस तालाब में कहां पर पांच लाख का काम हुआ दिखाई दे रहा है। महिलाओं ने कहा कि यह हमारे गांव का सबसे पुराना व प्रमुख तालाब है। इस तालाब का पानी पूरे गांव के काम में आता है। मौके पर मौजूद सभी ग्रामीणों ने जांच टीम से कहा कि इस तालाब में गहरीकरण का कोई कार्य नहीं हुआ है केवल एक्सीलेटर मशीन से थोड़ा बहुत खोद कर फर्जी हाजरी के जरिए राशि का गबन किया गया है इसलिए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। जिस पर जांच टीम के अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वासन देते हुए मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर नियमानुसार कार्रवाई करने की बात कही है।
दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई: सीईओ
इस संबंध में जनपद पंचायत प्रतापपुर के सीईओ राधेश्याम मिर्झा ने thetarget365 से चर्चा करते हुए बताया कि मामले की मौके पर जाकर जांच करने के अलावा गोविंदपुर के पंचायत भवन में भी ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनके बयान दर्ज किए गए हैं। बयानों के आधार पर की गई शुरूआती जांच में तालाब के गहरीकरण में तीन सप्ताह तक मनरेगा मजदूरों द्वारा कार्य करना पाया गया है। मस्टर रोल की भी जांच की जा रही है। एक्सीवेटर मशीन की भूमिका की भी जांच चल रही है। दो तीन दिनों में जांच पूर्ण कर ली जाएगी। जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
यह था मामला
जनपद पंचायत प्रतापपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत गोविंदपुर में मनरेगा योजना के तहत शासन ने तालाब का गहरीकरण करने पांच लाख की स्वीकृति प्रदान की थी। शासन के नियमानुसार सारा कार्य मनरेगा मजदूरों के माध्यम से होना था। ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि गांव के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक व मेट द्वारा मनरेगा मजदूरों से कार्य न कराते हुए गुपचुप तरीके से रात के अंधेरे में एक्सीवेटर मशीन से तालाब को इधर उधर से खोद कर कार्य पूर्ण होना दिखा दिया। पंचायत कर्मियों ने तालाब के गहरीकरण में कोई कार्य न करने वाले अपने चहेते लोगों की फर्जी तरीके से मस्टर रोल में हाजरी भर के पूरी राशि उनके बैंक खातों में स्थानांतरित कर गबन कर ली।