★ जेडआरयूसीसी मेंबर मुकेश ने तथ्यों और दस्तावेजों के साथ रेणुकूट रेल लाइन का मजबूती से रखा पक्ष
अंबिकापुर @thetarget365 रेल और यात्री सुविधाओं के मामले में सरगुजांचल पिछड़ा हुआ है। अनूपपुर से अंबिकापुर आकर रेल लाइन समाप्त हो जाती है। इसे आगे बढ़ाने की मांग आज तक अधूरी है। रेल लाइन विस्तार सिर्फ सर्वे और डीपीआर तक ही सिमटा हुआ है। यही कारण है कि अब सरगुजांचल की जनता रेल सुविधा विस्तार की मांग को लेकर मुखर हो चुकी है। सब कुछ ठीक चलता है तो बरवाडीह रेल लाइन का पेंच फंस जाता है। इस बार भी अंबिकापुर से रेणुकूट रेल लाइन की उम्मीद प्रबल थी लेकिन बरवाडीह तक सिंगल रेल लाइन के लिए नए सर्वे के प्रस्ताव से रेल सेवा विस्तार का मामला ठंडा पड़ता दिखाई दे रहा है।
बिलासपुर में आयोजित 19 वीं क्षेत्रीय रेलवे उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति की द्वितीय बैठक में क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सदस्य मुकेश तिवारी ने सरगुजांचल की जन भावनाओं से अधिकारियों को अवगत कराया। उन्होंने दस्तावेजी प्रमाणों के साथ अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि रेणुकूट और बरवाडीह रेल लाइन का डीपीआर जमा हो चुका है। दोनों डीपीआर से स्पष्ट है कि रेणुकूट सर्वथा उपयुक्त है इसके बाद भी बरवाडीह तक सिंगल रेल लाइन सर्वे का नया प्रस्ताव समझ से परे है। मुकेश तिवारी ने कहा कि उत्तर छत्तीसगढ़ में रेल लाइन विस्तार को लेकर अब निर्णय लेने का समय आ चुका है। उन्होंने कहा कि बरवाडीह सिंगल लाइन और रेणुकूट डबल लाइन के सर्वे रिपोर्ट का तुलनात्मक अध्ययन नहीं हो सकता। डबल लाइन में खर्च निश्चित रूप से अधिक आएगा। इस पर रेलवे अधिकारियों ने कहा कि यदि बरवाडीह सिंगल रेल लाइन का सर्वे होगा तो रेणुकूट के लिए भी यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
बैठक में जेडआरयूसीसी सदस्य मुकेश तिवारी ने रेलवे अधिकारियों को बताया कि कई बार बरवाडीह लाइन का सर्वे हो चुका है। एसईसीएल बिलासपुर के महाप्रबंधक साइडिंग ने तीन वर्ष पूर्व कोल इंडिया को लिखित में अवगत कराया है कि कोयला परिवहन के लिए बरवाडीह रेल लाइन की कोई उपयोगिता नहीं है। पूर्व में बरवाडीह रेल लाइन के लिए आए एक प्रस्ताव पर झारखंड और छत्तीसगढ़ सरकार के साथ कोल इंडिया ने भी रुचि नहीं दिखाई थी। वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा ने रेणुकूट रेल लाइन के लिए अशासकीय संकल्प भी पारित किया है।
परियोजना मूल्यांकन समिति की रिपोर्ट का भी दिया हवाला
छत्तीसगढ़ के कुल सात प्रस्तावित रेल परियोजनाओं की रिपोर्ट पर रेलवे की परियोजना मूल्यांकन समिति की बैठक में भी चर्चा हो चुकी है।इस समिति ने बरवाडीह तथा रेणुकूट में से किसी एक परियोजना पर ही काम हो पाने की जानकारी दी है। इसमें भी रेणुकूट लाइन को उपयुक्त बताया गया है। क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सदस्य मुकेश तिवारी ने बैठक में इस समिति की रिपोर्ट को भी प्रस्तुत किया। उन्होंने यात्री परिवहन के साथ कोयला ढुलाई के लिए भी रेणुकूट रेल लाइन को उपयुक्त बताया।
रेणुकूट प्रस्तावित लाइन में कोयला भंडारण व उत्पादन
★ जगरनाथपुर ओसीएम – 3.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष (20 वर्ष तक)
★ मदननगर प्रस्तावित खदान-15 मिलियन टन प्रतिवर्ष (25 वर्ष तक)
★ भवानी प्रोजेक्ट कल्याणपुर, बरतीकला,वाड्रफनगर,बगड़ा,कोटेया कोल प्रोजेक्ट
★ सामरी क्षेत्र से प्रतिदिन सैकडो ट्रक बाक्साइट परिवहन झारखंड के मेराल साइडिंग तक
★ सामरी के अलावा मैनपाट से उत्खनित बाक्साइट परिवहन की भी मिल सकती है सुविधा।
बैठक में इन मुद्दों को भी रखा गया
★ प्रस्तावित बरवाडीह रेल लाइन में कहीं भी कोल अथवा दूसरे खनिज परिवहन की संभावना नहीं
★ बरवाडीह तक अंबिकापुर से कोई सीधी सड़क नहीं है।
★ अंबिकापुर – बरवाडीह प्रस्तावित रेल लाइन में टाइगर प्रोजेक्ट, बेतला नेशनल पार्क तथा प्रस्तावित बिंदा स्टेशन रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र में है।
★ फारेस्ट क्लियनरेंस में भी बाधा आ सकती है।