नई दिल्ली @Thetarget365 : आज के समय में हर कोई चाहता है कि उसकी बातों का असर दूसरों पर जल्दी हो. चाहे इंटरव्यू हो, मीटिंग हो या फिर कोई निजी मुलाकात, अगर आपकी वाणी में आकर्षण होगा तो सामने वाला तुरंत प्रभावित हो जाएगा. इसी से जुड़ा एक सरल ज्योतिषीय उपाय हाल ही में एस्ट्रो एक्सपर्ट संतोष उपाध्याय ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साझा किया है. इस उपाय को करने के बाद आपकी बातचीत में एक अलग ही असर दिखाई देगा. तो आइए जानते हैं कि कैसे रिंग फिंगर में शहद लगाकर मंत्र जाप करने से आपकी वाणी में चमत्कारी शक्ति आ सकती है.
रिंग फिंगर उपाय : कैसे बनाएं अपना प्रभाव
अगर आप चाहते हैं कि आपसे मिलने वाला व्यक्ति आपसे जल्दी प्रभावित हो जाए और आपका पहला इंप्रेशन अच्छा बने, तो आपको रिंग फिंगर का यह उपाय जरूर आजमाना चाहिए. इसमें ज्यादा कुछ नहीं करना है. बस अपनी रिंग फिंगर यानी अनामिका उंगली पर थोड़ा सा शहद लगाइए. फिर उसे हल्के हाथ से रगड़ते हुए नीचे दिया गया मंत्र सात बार बोलिए.
ॐ शुं शुक्राय नम:”
मंत्र जाप पूरा होने के बाद तुरंत अपने गले को हल्के से छूना है. इसके बाद आप जो भी बात करेंगे, उसमें आपकी वाणी का गहरा असर सामने वाले पर पड़ेगा. यह आसान सा उपाय बहुत ही खास तरीके से काम करता है और बातचीत में आपके शब्दों को एक्स्ट्रा ऊर्जा देता है.
इन मंत्रों का भी ले सकते हैं सहारा
अगर आप चाहें तो ”ॐ शुं शुक्राय नम:” के अलावा कुछ और मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं. इन मंत्रों का उच्चारण करने से न केवल वाणी में मिठास आती है बल्कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा भी बढ़ती है.
नीचे कुछ खास मंत्र दिए जा रहे हैं:
- क्क जूं सः माम्पालय पालय सः जूं क्क
- क्क घन्नघ मित्रामहः आरोहन्नुत्तरां दिवम्. हृद्रोग मम् सूर्य हरि मांण् च नाश्यं.
- देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि मे परमं सुखं. रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि.
- ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने. प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥
- ॐ हं हनुमते नमः.
- ॐ नमो नारायण.
या श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि. - ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।। - ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्.
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्द्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
- ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्.
- ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम. सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
- ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पयः सेमं प्रजापति:.