अंबिकापुर। एसईसीएल विश्रामपुर का अमेरा खदान कोयला चोरी के लिए बदनाम रहा है। सैकडों की संख्या में ग्रामीणों का समूह खदान क्षेत्र में घुसकर कोयला की चोरी कर रहे है। अब पुलिस कार्रवाई कर रही है तो सत्ताधीश बचाव में आ रहे है। ताजा मामला लखनपुर थाने से जुड़ा है। यहां विधायक राजेश अग्रवाल के भाई विजय अग्रवाल के साथ भाजपाइयों का दल ग्रामीणों के सहयोग के नाम पर थाने पहुंच गए। इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित वीडियो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भाजपाई सीधे पुलिस पर दबाब बनाने पहुंचे थे। उनकी सोच ग्रामीणों का साथ देने का नहीं बल्कि खदान क्षेत्र में घुसकर तांबे का केबल लूट कर ले जाने वालों में शामिल एक भाजपा कार्यकर्ता को छुड़ाने की थी। वायरल वीडियो में एक भाजपा नेता की बातचीत सुनी जा सकती है। इसमें वे प्रशिक्षु डीएसपी शुभम तिवारी से कहते है कि फलां हमारा कार्यकर्ता है उसे छोड़ दीजिए। डीएसपी कहते हैं कि आपके कहने से कैसे छोड़ा जा सकता है। विवेचना में नाम है। कुल मिलाकर ग्रामीणों का साथ देने के नाम पर भाजपाइयों का समूह डकैती के आरोप में गिरफ्तार भाजपा कार्यकर्ता को छुड़ाने पहुंचे थे। विधायक राजेश अग्रवाल के भाई विजय अग्रवाल जिस तरीके से डीएसपी को धमका रहे हैं वह भाजपा की रीति, नीति नहीं है। स्वच्छ व पारदर्शी प्रशासन के नाम पर भाजपा सरकार बड़े दावा कर रही है लेकिन उन्हीं के एक विधायक के भाई खुलेआम गुंडागर्दी कर भाजपा सरकार की सोच पर कुठाराघात कर रहे है।
खबर है कि विधानसभा में कांग्रेस आज इस मामले को जोर शोर से उठाएगी। स्थानीय स्तर पर कांग्रेसी भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। यदि पुलिस की कार्रवाई गलत है तो जिम्मेदारी तय करने की मांग की जा रही है। यदि पुलिस सही है तो थाने में घुसकर गुंडागर्दी और पुलिस को देख लेने की धमकी देने वालों के विरुद्ध कार्रवाई भी होनी चाहिए। यदि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो जनता में उसका विश्वास भी कम होगा। अभी से ही पुलिस की किरकिरी भी हो रही है। थाने में घुसकर गुंडागर्दी करने वालों के विरुद्ध पुलिस क्या कदम उठाती है यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
ऐसे में कैसे सुधरेगी व्यवस्था
थाने में घुसकर प्रशिक्षु डीएसपी शुभम तिवारी को धमकी देने वाले भाजपा विधायक राजेश अग्रवाल के भाई विजय अग्रवाल व भाजपाइयों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है लेकिन खबर है कि सत्ता के दबाब में पुलिस के आलाधिकारियों ने प्रशिक्षु डीएसपी को बतौर थाना प्रभारी हटा दिया है। हालांकि प्रशिक्षण की अवधि भी पूरी हो चुकी थी लेकिन भाजपाई भी श्रेय लेने प्रचारित कर रहे हैं कि उनके विरोध के बाद डीएसपी को हटाया गया है।