★ पढ़ाई की चिंता किए बगैर स्कूल बंद करने का निर्णय लेकर कार्मेल स्कूल ने नए विवाद को दिया जन्म
★ सिस्टर मर्सी के समर्थन में दबाब बनाने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं स्कूल को बंद रखने का निर्णय
अंबिकापुर। छात्रा की आत्महत्या के बाद विवादों से घिरे कार्मेल स्कूल प्रबंधन ने वार्षिक परीक्षा की तैयारी के नाम पर स्कूल में अवकाश घोषित कर दिया है। स्कूल प्रबंधन के इस निर्णय से नया विवाद खड़ा हो गया है। प्रबंधन के इस निर्णय को अभिभावकों पर दबाब बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। पीड़ित परिवार के साथ शहरवासी इस घटनाक्रम को धीरे-धीरे भूलना चाह रहे हैं लेकिन कार्मेल स्कूल प्रबंधन नए विवाद को जन्म देकर इस मामले को जीवित रखने का प्रयास कर रहा है। प्रबंधन का यह निर्णय न सिर्फ विद्यार्थियों की पढ़ाई को प्रभावित करने वाला है बल्कि शांति, सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को लेकर भी सही नहीं माना जा सकता।
प्रबंधन पर आरोप लग रहा है कि- पढ़ाई बंद करा वह अघोषित रूप से दबाब बनाना चाह रहा है कि अविभावक उनके पक्ष में आकर खड़े हो जाएं। स्कूल के व्हाट्सअप ग्रुप में रविवार देर शाम जैसे ही यह सूचना प्रसारित हुई कि अब स्कूल नहीं लगेगा, सीधे परीक्षाएं होंगी तो बच्चे चिंतित हो उठे। अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई। अभी कई कक्षाओं का रिवीजन टेस्ट चल रहा था। वह भी पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में बच्चे सीधे वार्षिक परीक्षा में सम्मिलित होंगे। प्रबंधन के इस निर्णय का सोशल मीडिया पर खुलकर विरोध शुरू हो गया है। एक अभिभावक ने भावनात्मक अत्याचार शीर्षक से लिखा- “कुछ दिनों पहले हुई घटना ने सभी पलकों और बच्चों के साथ पूरे शहर के लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया है। कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए कुछ दिनों तक स्कूल को बंद रखना एक तरह से सही था, परन्तु अब स्कूल प्रबंधन द्वारा बिना कोर्स पूरा कराये ही बच्चों को परीक्षा की तैयारी के नाम पर छुट्टी घोषित कर दिया गया है। इस तरह की घोषणा से पालको और बच्चों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखने लगी हैँ। अब ऐसा महसूस हो रहा है कि प्रबंधन द्वारा पालकों की चिंता को दरकिनार कर एक अदृश्य एवं अघोषित आंदोलन घटना की आरोपित के समर्थन मे शुरू कर दिया है। बिना कोर्स पूरा किये ही समय पूर्व छुट्टी घोषित होने से बच्चों एवं अभिभावकों पर एक तरह का भावनात्मक अत्याचार हो रहा है, जिसे प्रबंधन द्वारा समझने और सुधारने की ज़रूरत है। इससे मंशा स्पष्ट हो रही है कि प्रबंधन यह अहसास दिलाना चाहता है की जिन्होंने भी हाल के दिनों मे बुराई और अन्याय का विरोध किया, वे गलत थे। हम भले ही उस घटना को धीरे-धीरे भूल रहे हैँ लेकिन स्कूल अपने स्टाफ के साथ, अपने हिटलरशाही उसुलों के साथ योजनाबद्ध तरीके से खड़ा है। इस समय ज़रूरत है कि बच्चों की पढ़ाई में कोई व्यवधान न उत्पन्न हो। स्कूल बच्चों के कोर्स को पूरा कराए। बच्चों को इतनी बड़ी घटना से उत्पन्न हुए मानसिक दबाव से बाहर लाना जरुरी है। उन्हें परीक्षा की तैयारी के लिए प्रेरित करें।”
कार्मेल स्कूल प्रबंधन के इस निर्णय का विरोध स्वाभाविक है। प्रबंधन ने ऐसे समय में स्कूल को बंद करने का निर्णय लिया है जब पढ़ाई बेहद जरूरी है। समूचा पुलिस और प्रशासन 13 फरवरी तक वीवीआइपी प्रवास की तैयारी तथा शांति, सुरक्षा और कानून व्यवस्था की ड्यूटी में रहेगा। ऐसे व्यस्ततम समय में कार्मेल स्कूल प्रबंधन ने फिर एक नए विवाद को जन्म देने की कोशिश की है। इसका विरोध स्वाभाविक है। अभिभावक यह कतई स्वीकार नहीं करेंगे कि मनमाना शुल्क लेने वाला स्कूल जब चाहे स्कूल बंद कर दे और जब चाहे स्कूल की कक्षाएं शुरू कर दे। निर्णय का विरोध सड़क पर उतर कर शुरू हुआ तो स्थिति बिगड़ सकती है।
मालूम हो कि छात्रा की आत्महत्या मामले में सिस्टर मर्सी को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है। जांच चल रही है। कई और लोगों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है ऐसे में स्कूल को बंद करने का निर्णय कहीं सिस्टर मर्सी की गिरफ्तारी का विरोध और उनके समर्थन के साथ स्वयं के बचाव के लिए दबाब बनाने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं है। प्रशासन और पुलिस को इस संवेदनशील मामले में त्वरित हस्तक्षेप कर सच्चाई जानने की जरूरत है। यदि प्रबंधन अभिभावकों पर दबाब बना रहा है तो सख्त कार्रवाई कर समाज को नया संदेश देने की भी जरूरत है।