तेंदूपत्ता और साल बीज की गुणवत्ता हो रही प्रभावित
अंबिकापुर (thetarget365)। वनों की गौण उपज में तेन्दूपत्ता का विशिष्ट स्थान है। तेन्दूपत्ता एक प्राकृतिक रुप से उत्पन्न होने वाला पौधा है। इसके पत्तों से बीडी बनायी जाती है।छत्तीसगढ़ में हरा सोना के नाम से पहचाना जाने वाला तेंदूपत्ता और साल बीज पर इस बार मौसम की मार पड़ी है। विक्षोभ के कारण आंधी-तूफान और बारिश से तेंदूपत्ता की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। तेज हवाओं के कारण पकने से पहले ही साल बीज झड़ रहे हैं। इसका सीधा असर ग्रामीणों की आजीविका पर पड़ रहा है।
उत्तर छत्तीसगढ़ में 09 मई से तेंदूपत्ता की खरीदी आरंभ हो गई है लेकिन उच्च गुणवत्ता की तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्रों में नहीं पहुंच रही है। जितनी तेज गर्मी पड़ती है तेंदूपत्ता की गुणवत्ता उतनी ही बेहतर होती है लेकिन इस बार उत्तर छत्तीसगढ़ में प्रतिकूल मौसम के कारण तेंदूपत्ता की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। संग्राहकों को इसका सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस बार सरगुजा जिले के सभी 14 समिति तथा बलरामपुर जिले की 64 समितियों में तेंदूपत्ता फडों में ठेके के माध्यम से खरीदी होनी है। तेंदूपत्ता ठेकेदारों ने इस बार रुचि दिखाई थी लेकिन मौसम के कारण खरीदी प्रभावित हो रही है। इसका सीधा नुकसान तेंदूपत्ता संग्राहकों को हो रहा है। प्रचंड गर्मी में चारा पानी की तलाश में हाथी और भालू भी विचरण कर रहे हैं। खरीदी आरंभ होने के साथ ही सरगुजा जिले के उदयपुर वन परिक्षेत्र में तेंदूपत्ता तोड़ने गए दो लोगों पर भालू ने हमला कर जख्मी कर दिया है। इससे संग्राहक परिवार भयभीत भी हैं। उत्तर छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों का विचरण भी इस सीजन में आबादी क्षेत्रों के आसपास होता है इस कारण तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य भी प्रभावित है। भोर में जिस समय हाथी, जंगलों की ओर लौटते हैं उसी समय तेंदूपत्ता संग्राहकों को जंगल जाना पड़ता है यही कारण है कि सतर्कता भी बेहद जरूरी है।
उत्तर छत्तीसगढ़ में गर्मी के सीजन में असिंचित क्षेत्रों में खेती नहीं होती। हरा सोना के नाम से ख्याति प्राप्त तेंदूपत्ता ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका संवर्धन का प्रमुख साधन होता है, यही कारण है कि आदिवासी परिवार के सदस्य भोर में ही तेंदूपत्ता तोड़ने निकल जाते है। 12 बजे से पहले घर लौटकर परिवार के सभी सदस्य तेंदूपत्ता की गड्डी बनाते हैं। शाम को नजदीकी फड़ में इसकी बिक्री की जाती है। तेंदूपत्ता तोड़ने से लेकर इसकी बिक्री करने तक की प्रक्रिया में परिवार के सभी सदस्यों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग रहता है।
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता की खरीदी 5,500 रुपये प्रति मानक बोरे की दर से
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता की खरीदी 5,500 रुपये प्रति मानक बोरे की दर से की जानी है। भाजपा सरकार ने इसका दर बढाया है।पिछली कांग्रेस सरकार में तेंदूपत्ता की खरीदी 4,000 रुपये प्रति मानक बोरे की दर से होती थी। वर्ष 2024 से तेंदूपत्ता संग्रह करने वालों से 5,500 रुपये प्रति मानक बोरे की कीमत पर खरीद करने का फ़ैसला लिया गया है। सरगुजा वनवृत्त में पिछले वर्ष के बराबर तीन लाख 63 हज़ार 600 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य रखा गया है। तेंदूपत्ता की एक गड्डी में 500 पत्ते होते हैं। संग्राहक परिवारों के लिए शासन स्तर से कई योजनाएं भी संचालित की जाती है। सरकार ने फिर से चरण पादुका देने का भी निर्णय लिया है।