अंबिकापुर @thetarget365 वेलफेयर बिल्डिंग एण्ड ई-स्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में करोड़ों रुपये निवेश करने के बाद लोग भटक रहे हैं। कंपनी के द्वारा अंबिकापुर में कारोबार समेटने से चिंतित एजेंटों ने इसकी रिपोर्ट गांधीनगर थाना में दर्ज कराई है। चिटफंड कंपनी द्वारा निवेशकों को पांच वर्ष में दो गुना राशि देने का झांसा दिया गया था। कंपनी के संचालक सेमीनार व अन्य माध्यमों से बेरोजगारों को विश्वास में लेकर एजेंट तैयार किए, जिन्होंने कंपनी के हवाले सैकड़ों लोगों के मेहनत की कमाई कर दी थी। रुपये नहीं मिलने पर एजेंटों ने इसकी रिपोर्ट गांधीनगर थाना में दर्ज कराई है। उक्त चिटफंड कंपनी शहर के नमनाकला रिंग रोड स्थित पेट्रोल पंप के सामने कई वर्षों तक संचालित थी।
जानकारी के मुताबिक वेलफेयर बिल्डिंग एण्ड ई-स्टेट्स प्राईवेट लिमिटेड का पंजीकृत कार्यालय असिलमेटा विशाखापटनम और हेड ऑफिस आरटीसी कांप्लेक्स असिलमेट्टा विशाखापट्टनम आंध्रप्रदेश में है, जिसके मैनेजिंग डायरेक्टर विजय प्रसाद माला और डायरेक्टर वी. संध्यावाली है। चिटफंड कंपनी के सलाहकार सदस्य बलराम पाठक निवासी ग्राम लोहड़ी पलामू झारखण्ड, रीजनल इंचार्ज नवनीत कुमार पाण्डेय निवासी किलबुर्ण कॉलोनी हिनो डोरण्डा रांची, अर्जन प्रजापति निवासी औरंगाबाद बिहार, जोनल इंचार्ज अखिलेश प्रजापति निवासी ग्राम सिन्दुरिया (चण्डी) थाना डाल्टेनगंज हैं। कंपनी का रीजनल कार्यालय डाल्टेनगंज पलामू में स्थित है, इसके शशिभूषण चौरसिया रीजनल ऑफिसर हैं, जिन्होंने वर्ष 2007 में नमनाकला रिंग रोड़ में महामाया पेट्रोल पंप के सामने अंबिकापुर में वेलफेयर कंपनी का ब्रांच चालू करवाया था। देवराज यादव निवासी आमगांव कमलेश्वरपुर सरगुजा ने पुलिस को बताया है कि ब्रांच चालू होने के पश्चात शशिभूषण चैरसिया द्वारा सेमीनार एवं बैठक लेकर कंपनी की योजना के बारे में बताया गया था। वेलफेयर कंपनी का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र एवं अन्य दस्तावेज देखकर इनके झांसे में कई शिक्षित बेरोजगार आ गए। शासन-प्रशासन को भी कंपनी का ब्रांच खोलने की सूचना दी गई थी।
रियल स्टेट में जमीन में होता था पैसों का निवेश
चिटफंड कंपनी के योजना के अनुसार निवेशकों का रकम शशिभूषण चैरसिया के बताए अनुसार रीयल स्टेट में जमीन में इन्वेस्ट किया जा रहा था। इसका बांड पेपर जारी किया गया, जिसमें कंपनी स्वयं के जमीन का प्लाट नंबर एवं रकबा भी लिखकर देती है। बताया गया था कि कंपनी निवेशकों का पैसा क्षतिपूर्ति के साथ समय पर वापस करने में असमर्थ होती है तो निवेशक बांड में वर्णित जमीन को कंपनी से प्राप्त कर सकते हैं या कंपनी उक्त जमीन को विक्रय कर निवेशकों का पैसा वापस करेगी। एजेंटों को निवेशकों का रकम निवेश कराने के एवज में कंपनी कमीशन देती थी।
कंपनी ने वर्ष 2007 से 2015 तक निवेशकों का रकम कंपनी की योजना अनुसार समय पर भुगतान किया, जिस कारण लोगों का विश्वास बढ़ गया था। वर्ष 2016 से निवेशकों का जमा रकम कंपनी द्वारा समय पर भुगतान नहीं करने पर एजेंटों पर रकम वापसी के लिए दबाव की स्थिति बनने लगी। ऐसे में एजेंट कंपनी के हेड ऑफिस विशाखापट्टनम आंध्रप्रदेश जाकर मैनेजिंग डायरेक्टर एवं डायरेक्टर से मिले और रकम भुगतान नहीं होने से मारपीट, थाने में शिकायत जैसी बन रही स्थिति से अवगत कराया, जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया कि कंपनी अभी चल रही है। कुछ राज्यों में कंपनी की ब्रांच किसी कारण से बंद है, परंतु निवेशकों का जमा रकम वापस होगा। इसके बाद 5-6 वर्ष बीत गए लेकिन निवेशकों को जमा रकम वापस नहीं मिल पाई है।
निवेशकों ने बनाया एजेंटों पर दबाव, तब एजेंट पहुंचे थाना
तत्संबंध में मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन तक पूर्व में एजेंट गुहार लगा चुके हैं। निवेशकों के द्वारा रुपये वापस दिलवाने के लिए बनाए जा रहे दबाव से परेशान एजेंटों की रिपोर्ट पर गांधीनगर थाना पुलिस ने धारा 34, 420 का मामला दर्ज कर लिया है।