Silent Killer Snake : भारत में बारिश के मौसम में सांपों का निकलना आम बात है, खासकर ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी इलाकों में। ऐसे में लोगों को सबसे ज्यादा खतरा होता है जहरीले सांपों से, जिनमें ‘कॉमन करैत’ (Common Krait) सबसे खतरनाक माना जाता है। यह सांप न केवल बेहद ज़हरीला है, बल्कि इसकी चाल भी इतनी चुपके से होती है कि यह ‘साइलेंट किलर’ के नाम से जाना जाता है।
कॉमन करैत: एक नजर में
कॉमन करैत भारत में पाए जाने वाले चार सबसे जहरीले सांपों में शामिल है। अन्य तीन हैं इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर। करैत की पहचान इसकी चमकदार काली त्वचा और उस पर बनी सफेद या हल्की पीली धारियों से होती है। इसका शरीर पतला और लंबा होता है, जिससे यह बेहद तेजी से फिसलता है और शिकार पर अचानक हमला करता है।
क्यों है यह इतना खतरनाक?
कॉमन करैत का ज़हर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो सीधे तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को प्रभावित करता है। इसके काटने के बाद व्यक्ति को शुरुआत में कोई दर्द महसूस नहीं होता क्योंकि इसके दांत सुई जैसे पतले और छोटे होते हैं। यही कारण है कि सोते समय यह इंसानों को शिकार बना लेता है और व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि कब वह इसकी चपेट में आ गया।
लक्षण और प्रभाव
कॉमन करैत के काटने के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
अंगों का सुन्न पड़ना
मांसपेशियों में कमजोरी
सांस लेने में दिक्कत
बोलने में कठिनाई
लकवा (Paralysis)
यदि समय पर इलाज ना मिले तो पीड़ित की कुछ ही घंटों में मौत हो सकती है।
कहां और कब होता है ज्यादा खतरा?
यह सांप विशेष रूप से रात में सक्रिय होता है, इसलिए इसे ‘Silent Killer’ कहा जाता है। बरसात के मौसम में यह घरों, बगीचों, खेतों और यहां तक कि बिस्तरों में भी छिप सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में मिट्टी के घर और खुले बाथरूम इसके छिपने के लिए उपयुक्त स्थान बन जाते हैं।
कैसे बचें करैत के खतरे से?
बरसात में घर के कोनों और बिस्तरों की नियमित जांच करें।
रात को खुले में न सोएं, खासकर ज़मीन पर।
टॉर्च और लाठी का इस्तेमाल करें, खासकर खेतों या अंधेरे स्थानों में जाने से पहले।
सांप दिखे तो खुद न पकड़ें, विशेषज्ञों की मदद लें।
कॉमन करैत एक बेहद घातक सांप है जो भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है। खासकर बारिश के मौसम में इससे सावधानी जरूरी है। समय पर पहचान और इलाज ही जान बचा सकता है।
अगर आप ग्रामीण इलाके में रहते हैं या खेतों में काम करते हैं, तो सतर्क रहना ही सबसे बड़ा बचाव है।
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