★ 2018 में एंटी करप्शन ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था
अंबिकापुर @thetarget365 मेस संचालन के नाम पर 10 हजार रुपये रिश्वतखोरी करते एंटी करप्शन द्वारा गिरफ्तार शिक्षक को आज न्यायालय ने 4 वर्ष की सजा सुनाई है। मामला चार वर्ष पूर्व 2018 का है।
जानकारी अनुसार 20 सितंबर 2018 को एसीबी रायपुर की टीम ने मंदबुद्धि विद्यालय के प्रशिक्षित शिक्षक नारायण सिंह सिदार 49 वर्ष को प्रार्थी अंचल विश्वकर्मा से 10 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। अंचल विश्वकर्मा पूर्व में समाज कल्याण के भवनों की मरम्मत का काम करता था। इस दौरान उसका परिचय मंदबुद्धि विद्यालय में बतौर प्रशिक्षित शिक्षक नारायण सिंह सिदार से हुआ था। शिकायतकर्ता अंचल विश्वकर्मा ने बताया था कि नारायण सिंह सिदार ने उसे सामर्थ्य विकास दिव्यांग छात्रावास में मेस चलाने के लिए आवेदन देने कहा था। जब अंचल विश्वकर्मा ने आवेदन दिया तो कई दिनों तक उसका आवेदन प्रोसेस में बताया गया। 31 अगस्त 2018 को नारायण सिंह सिदार ने कहा कि मेस संचालन की अनुमति देने के लिए 30 हजार रुपये रिश्वत देनी होगी। जब अंचल विश्वकर्मा ने पैसा नहीं होना बताया तो दोनों के बीच 20 हजार में सौदा तय हुआ था। शिकायतकर्ता अंचल विश्वकर्मा ने इसकी शिकायत 07 सितंबर 2018 को एसीबी से कर दी। 20 सितंबर को अंचल विश्वकर्मा ने नारायण सिंह को जिला पंचायत के पास रिश्वत की रकम दी। एंटी करप्शन की टीम ने नारायण सिंह सिदार को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक राकेश सिन्हा ने बताया कि विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ममता पटेल की अदालत ने आरोपी नारायण सिंह को रिश्वत लेने का दोषी पाया है। उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत 4 वर्ष के कारावास एवं पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा
भ्रष्टाचार व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों का हनन है। लोगों के बीच यह आर्थिक असमानता उत्पन्न करता है। लोगों के मष्तिष्क में हमेशा हताशा व निराशा का वातावरण उत्पन्न करता है। भ्रष्ट लोकसेवक अपने आचरण से पूरे सिस्टम को भ्रष्ट कर देता है। भ्रष्टाचार एक ऐसा हथियार बन गया है, जो आम नागरिकों के मष्तिष्क में विधि व शासन के प्रति निराशा उत्पन्न करता है। ऐसे मामलों में सिद्ध दोष के लिए दंड ऐसा होना चाहिए कि इस तरह के कृत्य में लिप्त व्यक्तियों के मन में भय का वातावरण जागृत हो।