DR Congo ISIS attack : अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआर कांगो) एक बार फिर आतंक और हिंसा की चपेट में आ गया है। इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) समर्थित उग्रवादी संगठन एलीड डेमोक्रेटिक फोर्सेस (ADF) ने पूर्वी प्रांत इतुरी के कोमांडा शहर में शनिवार देर रात एक कैथोलिक चर्च पर हमला कर दिया। इस निर्मम हमले में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई, जबकि स्थानीय मीडिया के अनुसार मृतकों की संख्या 43 तक पहुंच गई है।
विशेष रूप से ईसाई समुदाय को बनाया निशाना
स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ता क्रिस्टोफ़ मुन्यांडेरू ने मीडिया को बताया कि, “हमलावरों ने विशेष रूप से चर्च में मौजूद ईसाइयों को निशाना बनाया।” यह हमला तब हुआ जब लोग शनिवार रात की प्रार्थना में शामिल थे। विद्रोहियों ने पहले धारदार हथियारों से लोगों की हत्या की और फिर घर व दुकानों में आग लगा दी।
20 को धारदार हथियारों से मारा, अन्य को गोली मारी या जिंदा जलाया गया
स्थानीय रेडियो ओकापी की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 लोगों को काट कर, अन्य को गोली मारकर या आग में जिंदा जलाकर मार दिया गया। यह हमला केवल हत्या नहीं था, बल्कि एक पूरी आबादी को आतंकित करने की साजिश थी।
सेना की पुष्टि, इतुरी में पहले भी हो चुके हैं हमले
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जूल्स न्गोंगो ने कहा कि उन्हें रविवार सुबह हमले की जानकारी मिली और ज्यादातर मौतें धारदार हथियारों से हुईं। उन्होंने बताया कि विद्रोहियों ने इलाके में बड़े पैमाने पर आगजनी भी की।
इस्लामी शासन का लक्ष्य, लंबे समय से कर रहा नरसंहार
ADF एक इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है जिसकी स्थापना 1990 के दशक में युगांडा में हुई थी। 2002 में युगांडा सेना के दबाव के बाद यह संगठन डीआर कांगो के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय हो गया। वर्ष 2019 में ADF ने खुद को इस्लामिक स्टेट से जोड़ा और पूर्वी अफ्रीका में इस्लामी शासन स्थापित करने का उद्देश्य घोषित किया।
संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता, इसे बताया ‘खूनी संघर्ष’
संयुक्त राष्ट्र ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे “खूनी संघर्ष” करार दिया है। संयुक्त राष्ट्र पहले भी डीआर कांगो में ADF के नरसंहार, अपहरण और धार्मिक हिंसा पर चिंता जता चुका है।
यह हमला केवल डीआर कांगो की आंतरिक सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे अफ्रीकी महाद्वीप के लिए एक बड़ी चेतावनी है। ADF जैसे संगठनों की बढ़ती मौजूदगी और उनके क्रूर हमलों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आतंक के खिलाफ वैश्विक प्रयास अभी भी अधूरे क्यों हैं?