अंबिकापुर (thetarget365)। सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील स्थित परसा ईस्ट केंते बासेन कोल ब्लॉक के ग्राम घाटबर्रा के ग्रामीणों के पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन के सम्बन्ध में सोमवार को जिला कलेक्टरेट सभाकक्ष में जिला स्तरीय पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में विधायक राजेश अग्रवाल, कलेक्टर विलास भोसकर, सांसद प्रतिनिधि कैलाश मिश्रा, अपर कलेक्टर सुनील नायक, समिति के सदस्य, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिकारी तथा ग्राम घाटबर्रा के ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
बैठक में ग्राम घाटबर्रा के भू अर्जन प्रक्रिया का क्रमवार विवरण प्रस्तुत किया गया। इस दौरान बताया गया कि
ग्राम घाटबर्रा के भू अर्जन से विस्थापित एवं प्रभावित परिवारों में अर्जन हेतु प्रभावित निजी भूमि का कुल रकबा 348.126 हेक्टेयर है। बैठक में पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापना योजना के अंतर्गत भू-अर्जन अधिनियम 2013 की दूसरी अनुसूची के अनुसार विस्थापित परिवारों एवं प्रभावित परिवारों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन की हकदारी के सम्बन्ध में जानकारी रखी गई। जिसमें विस्थापन की दशा में आवासन इकाइयों की व्यवस्था, वार्षिक या नियोजन का विकल्प के बारे में जानकारी दी गई। विस्थापित कुटुम्बों के लिए एक वर्ष की अवधि तक जीवन निर्वाह अनुदान, परिवहन खर्च, पशुबाड़ा या छोटी दुकान खर्च, कारीगारों छोटे व्यापारियों और अन्य को एक बारगी अनुदान, पुनर्व्यवस्थापन भत्ता, वृद्धावस्था पेंशन, स्टाम्प शुल्क एवं रजिस्ट्रीकरण फीस, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन हेतु निर्मित मकान एवं भूखण्ड के एवज में एकमुश्त राशि, निर्मित मकान एवं भूखण्ड के एवज में रोजगार के बारे में ग्रामीणों को विस्तारपूर्वक बताया गया।
इस दौरान विधायक अग्रवाल ने ग्रामीणों से कहा कि हमारा प्रयास है कि ग्रामीणों को भूमि के एवज में अधिक से अधिक लाभ मिले, जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने कहा कि मुआवजा मिलने पर उस राशि का दुरुपयोग ना हो, इसका ध्यान रखें। उन्होंने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिकारियों से कहा कि वार्षिक या नियोजन के विकल्प के तहत रोजगार के एवज में मिलने वाले 5 लाख रुपए की एकमुश्त राशि को 10 लाख रुपए किया जाए तथा प्रभावित परिवारों के 60 वर्ष से अधिक आयु के सदस्यों को वृद्धवस्था पेंशन 500 रुपए प्रतिमाह के स्थान पर 1 हजार रुपए किया जाए। इसी तरह बैठक में कलेक्टर भोसकर ने ग्रामीणों के पक्ष में निर्मित मकान एवं भूखण्ड के एवज में एकमुश्त मिलने वाली 5.53 लाख रुपए की राशि को 07 लाख रुपए किए जाने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि सिंचित एवं असिंचित भूमि का अंतर निकालें, उसके बाद सिंचित भूमि के हिसाब से मुआवजा निर्धारित करें। मुआवजा वितरण के पश्चात जल्द से जल्द नियमानुसार नौकरी देने की कार्यवाही की जाए। बैठक में उपस्थित ग्रामीणों से उनके भ्रांतियों एवं सवालों के सम्बन्ध में पूछा गया। जिस पर राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिकारियों को समाधान हेतु निर्देशित किया गया।