◆ पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने जताया कड़ा एतराज
◆ पर्याप्त खाद का भंडारण सुनिश्चित हो और खाद की कीमतों की बढ़ोत्तरी तत्काल वापस हो
अंबिकापुर @thetarget365 प्रदेश में समय से पूर्व दस्तक दे चुके मानसून के साथ ही किसान जहां खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गए हैं, वहीं खाद की किल्लत और बढ़ती कीमतों ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ की सहकारी समितियों में सर्वाधिक उपयोगी डीएपी खाद (18:46:0:13 कॉम्प्लेक्स) की अनुपलब्धता और एनपीके खाद की कीमत में 250 रुपये की गुपचुप बढ़ोतरी पर कड़ा ऐतराज जताया है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री सिंह देव ने कहा कि खरीफ सीजन राज्य के किसानों के लिए आर्थिक मजबूती का आधार होता है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की उदासीनता के चलते यह सीजन संकट में घिरता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि डीएपी खाद, जो धान, मक्का और उद्यानिकी फसलों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है, सीजन की शुरुआत में ही बाजार से गायब है।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि विदेशी मुद्रा खर्च से बचने के चक्कर में केंद्र सरकार डीएपी खाद का आयात नहीं कर रही, जबकि प्रदेश सरकार सहकारी समितियों में एनपीके खाद उपलब्ध कराने में पूरी तरह विफल रही है। इतना ही नहीं, जिन समितियों ने पहले ही डिमांड ऑर्डर (D.O.) बनवा लिया था, उन्हें भी अब बढ़ी हुई दर पर भुगतान करने का दबाव डाला जा रहा है।
खुले बाजार में जहां खाद उपलब्ध है, वहीं सहकारी समितियों में किसानों को कुछ भी नहीं मिल रहा। सिंहदेव ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने तत्काल डीएपी खाद की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की और कीमतें वापस नहीं लीं, तो गरीब किसान कालाबाजारी की चपेट में आ जाएंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और बदतर हो सकती है।
इस मुद्दे पर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव, पीसीसी उपाध्यक्ष जेपी श्रीवास्तव, महामंत्री द्वितेन्द्र मिश्रा, निगम में नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद और पूर्व जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने भी सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि क्या भाजपा सरकार द्वारा धान के समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि की भरपाई अब किसानों से खाद की बढ़ी कीमत वसूलकर की जा रही है?
सभी नेताओं ने एक सुर में सरकार से मांग की है कि वह डीएमओ के माध्यम से छत्तीसगढ़ की मृदा के अनुसार उपयुक्त डीएपी खाद का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करे और खाद की कीमतों में हुई बढ़ोतरी को तत्काल प्रभाव से वापस ले। उन्होंने चेताया कि अगर समय रहते उचित कार्रवाई नहीं हुई तो धान की पैदावार बुरी तरह प्रभावित होगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।