अंबिकापुर @thetarget365 छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में रामतिल की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है, जिससे इस क्षेत्र में कृषि की दिशा में नया बदलाव देखने को मिल रहा है। रामतिल, जिसे ‘गिद्दी’ या ‘नाइजर’ के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण तेल-बीज फसल है। इसकी खेती मुख्यतः सूखे और पहाड़ी क्षेत्रों में होती है, और सरगुजा संभाग का पर्यावरण इसके लिए बहुत उपयुक्त है। यहाँ की जलवायु, मिट्टी और बारिश की मात्रा रामतिल के उत्पादन के लिए आदर्श मानी जाती है।
तेल से लेकर आयुर्वेदिक उपचार में होता है उपयोग
सरगुजा संभाग के मैनपाट, सामरीपाट, बलरामपुर, राजपुर, लुंड्रा सहित अन्य पठारी क्षेत्र में किसानों ने रामतिल की खेती को अपनाकर आर्थिक दृष्टि से अपनी स्थिति मजबूत की है। रामतिल के बीज से तेल निकाला जाता है, जो खाने और औषधीय दोनों ही उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होता है। इसका तेल न केवल खाने के लिए उपयोगी है, बल्कि आयुर्वेदिक उपचार में भी इसकी बड़ी भूमिका होती है। इसके अलावा, रामतिल का उपयोग साबुन और कॉस्मेटिक उत्पादों में भी किया जाता है, जिससे इसका बाजार मूल्य और अधिक बढ़ गया है।
कम खर्च में अधिक मुनाफा वाली खेती
रामतिल की खेती के लिए ज्यादा खर्च और मेहनत की आवश्यकता नहीं होती। यह कम जल की आवश्यकता वाली फसल है, जो सूखे क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है। फसल तैयार होने में 3 से 4 महीने का समय लगता है और इसकी कटाई के बाद किसानों को तुरंत लाभ प्राप्त होता है। इसके उत्पादन के लिए किसानों को कृषि विभाग और सरकार से भी सहायता मिल रही है, जिससे उन्हें उच्च गुणवत्ता के बीज, खाद और प्रशिक्षण मुहैया कराया जा रहा है।
मन को लुभा रहे हैं रामतिल के खेत
सरगुजा में बड़े पैमाने पर रामतिल की खेती से क्षेत्र का परिदृश्य भी बदल गया है। खेतों में रामतिल के पौधे पीले-फूलों से ढके हुए हैं, जिससे खेत बड़े ही खूबसूरत दिखाई देते हैं। इसके अलावा, खेती में बदलाव से सरगुजा के किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई है, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार हुआ है। रामतिल की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान इसे बाजार में बेहतर मूल्य पर बेच पा रहे हैं, जिससे उनके लिए नए अवसर खुल रहे हैं।
क्षेत्र की समृद्धि में सहायक सिद्ध हो रहा रामतिल
कुल मिलाकर, सरगुजा में रामतिल की खेती से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, बल्कि क्षेत्र का पारंपरिक कृषि स्वरूप भी बदल रहा है। यह फसल क्षेत्र के कृषि विकास और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है। रामतिल की खेती के इस सफल प्रयोग से क्षेत्र के अन्य किसान भी प्रेरणा ले रहे हैं और विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। सरगुजा में रामतिल की खेती निश्चित रूप से क्षेत्र की समृद्धि में सहायक सिद्ध हो रही है।