प्रतापपुर (सूरजपुर)। सूरजपुर जिला अंतर्गत जनपद पंचायत प्रतापपुर के पुराने भवन में आग लग जाने से वहां रखे पुराने दस्तावेज जलकर खाक हो गए।
रविवार की सुबह जनपद पंचायत के पुराने भवन के एक कक्ष जिसमें पुराने दस्तावेज रखे हुए थे उसमें से सुबह छह बजे के लगभग आसपास के लोगों को धुआं निकलता हुआ दिखाई दिया। लोगों ने नजदीक जाकर देखा तो पता चला कि वहां आग लगी हुई थी। इसी बीच किसी ने स्थानीय प्रशासन को सूचना दी। सूचना पर तत्काल पुलिस बल, तहसीलदार पुष्पराज पात्रे व जनपद पंचायत सीईओ पारस राम पैकरा मौके पर पहुंचे। जिसके बाद प्रतापपुर में फायर ब्रिगेड की व्यवस्था न होने के कारण जरही जरही में मौजूद फायर ब्रिगेड की गाड़ी को तत्काल मौके पर पहुंचने की सूचना भेजी गई। पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी को पहुंचने में समय लग रहा था और आज भी तेजी से फैल रही थी। स्थिति को देखते हुए नगर पंचायत से एक पानी का टैंकर मंगवाया गया। टैंकर से पाइप की मदद से पानी निकाल आग बुझाने का काम शुरू किया गया। पर इस तरह के उपाय से आग पूरी तरह से नहीं बुझ पा रही थी। आग पुराने दस्तावेजों से भरे हुए जर्जर कक्ष के ऊपर तक फैल चुकी थी। इस बीच करीब साढ़े आठ बजे मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने आग बुझाने का काम शुरू किया। लगभग एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाने में सफलता हासिल की।
बाल बाल बचे अन्य कार्यालय
बता दें कि यदि जल्द ही आग पर काबू नहीं पाया गया होता तो शासन को और भी ज्यादा बड़ा नुक़सान हो सकता था। क्योंकि जहां आग लगी हुई थी उसी के बगल में उप पंजीयक कार्यालय (रजिस्ट्री ऑफिस) भी है। जहां जमीन से जुड़े कार्यों के अनेक दस्तावेज, कंप्यूटर व प्रिंटर आदि रखे हुए थे। साथ ही आग लगे हुए कक्ष के पीछे महिला एवं बाल विकास विभाग का कार्यालय भी है जो कि समय रहते आग के बुझ जाने से सुरक्षित बच गए। अभी तक आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। पुलिस घटना की जांच कर रही है।
लंबे समय से जर्जर भवन में रखे हुए थे पुराने दस्तावेज
गौरतलब है कि जिस भवन के कक्ष में आग लगी थी वहां पूर्व में जनपद पंचायत कार्यालय संचालित होता था। भवन के जर्जर होने के बाद शासन ने उससे थोड़ी ही दूरी पर एक नए भवन का निर्माण कराकर वर्ष 2012 में जनपद पंचायत कार्यालय को उसमें स्थानांतरित कर दिया था। कार्यालय को तो नए भवन में स्थानांतरित कर दिया गया पर सवाल यह उठता है कि पुराने भवन में संचालित कार्यालय के दस्तावेज जो अब जलकर खाक हो चुके हैं उन्हें आखिर 11 साल बीत जाने के बाद भी नए भवन में स्थानांतरित क्यों नहीं किया गया।