अंबिकापुर @thetarget365 सरगुजा जिले से एक गंभीर और चिंताजनक खबर सामने आई है। उत्तर छत्तीसगढ़ में पहली बार घोड़ों में खतरनाक संक्रामक बीमारी गैल्डर्स (Glanders) की पुष्टि हुई है। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (NRCE) हिसार में भेजे गए रक्त सैंपल की पांचवीं बार आई रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। अब तक दो घोड़ों में इस संक्रमण की पुष्टि हुई है, जिन्हें निर्धारित सरकारी प्रोटोकॉल के तहत जहर देकर मारने की कार्रवाई शुक्रवार को की गई।
ये दोनों घोड़े विवाह-समारोह जैसे आयोजनों में इस्तेमाल किए जाते थे। इस बीमारी के गंभीर खतरे को देखते हुए पशुपालन विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड में है। “बर्कहोल्डरिया मैलेई” नामक बैक्टीरिया से फैलने वाली यह बीमारी इंसानों में भी संक्रमण फैला सकती है, जिससे इसकी गंभीरता और अधिक बढ़ जाती है।
संजाल नस्ल के दो घोड़ों में घातक और संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स की पुष्टि होने पर उप संचालक पशु आरपी शुक्ला के नेतृत्व में पशु चिकित्सकों की टीम और नगर निगम का अमला इंडस्ट्रियल एरिया स्थित अश्व पालक कमल धीवर के अस्तबल पहुँचा। वहां से संक्रमित एक घोड़ा और एक घोड़ी को निगम की टीम द्वारा वाहन से भिट्ठीकला ले जाया गया। दोनों शवों को दफना दिया।
चिकित्सकों ने संक्रमण फैलने से रोकने के लिए निर्धारित एसओपी का पालन करते हुए पीपीई किट पहनकर पहले दोनों जानवरों को एनीस्थीसिया का इंजेक्शन दिया। जब वे अचेत हो गए, तो उन्हें जहर का इंजेक्शन देकर शांतिपूर्वक मौत दी गई। इसके बाद नगर निगम ने पहले से खोदे गए गड्ढों में दोनों शवों को दफना दिया।
फिलहाल अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र को अगले तीन महीने के लिए “नियंत्रित क्षेत्र” घोषित कर दिया गया है, जहां अश्व प्रजाति (घोड़ा, खच्चर, गधा) के पशुओं के आवागमन पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। प्रदेश सरकार द्वारा प्रभावित पशुपालकों को आर्थिक सहायता भी दी जाएगी।
सरगुजा जिले में कुल 28 घोड़े दर्ज हैं, जिनमें से एक संदिग्ध घोड़े की पहले मौत हो चुकी है। तीन अन्य घोड़ों को निगरानी में रखा गया है। पशुपालन विभाग द्वारा सतत जांच और निगरानी की जा रही है ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। यह उत्तर छत्तीसगढ़ में गैल्डर्स का पहला पुष्ट मामला है।
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