- बहरासी से लगभग 27 किमी दूर है ऐतिहासिक मंदिर
- अदभुत रहस्यमयी है देवी माँ का यह मंदिर
मनेन्द्रगढ़@thetarget365 : जगत जननी मां भगवती की आराधना के विशिष्ट पर्व चैत्र मास के वासंतिक नवरात्र की नवमी पर भक्ति और श्रद्धा चरम पर रही। श्रद्धालुओं ने नवमी पर हवन-पूजन के साथ कन्याभोज कराया। श्रद्धालुओं ने मां के नौवें स्वरूप सिद्धदात्री का विशेष पूजन किया।
रविवार को श्रीराम मंदिर, शीतला मंदिर, शारदा मंदिर, आमाखेरवा रोड स्थित दुर्गा मंदिर समेत जिले के वनांचल में स्थित कई मंदिरों में हवन पूजन किया गया। घरों से उड़ने वाला हवन का सुगंधित धुआं और मंदिरों में बजने वाले घंटों की मधुर ध्वनि धार्मिक माहौल को और भी मजबूत कर रही थी। लोगों ने देवी के नौवें स्वरूप मां सिद्धदात्री का विशेष पूजन किया। श्रद्धालुओं ने देवी के स्वरूप में आई कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदाई की। कन्या भोज के बाद अधिकांश उपासकों ने व्रत पारायण किया। कन्याभोज खाने के लिए कन्याओं में भी उत्साह दिखाई दे रहा था। तमाम कन्याएं रंग-बिरंगी पोशाक पहने तैयार हो गई थीं। कुछ कन्याओं ने तो देवी के रुप महागौरी का रूप धर कर आई। घरों के अलावा कुछ मंदिरों में विशाल कन्याभोज का आयोजन किया गया।
चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर गढ़ा दाई मंदिर में भी कन्या भोज और भोग प्रसाद भंडारा का आयोजन किया गया। आयोजन के बाद पूर्व जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़ अध्यक्ष डॉ विनय शंकर सिंह ने मंदिर की महिमा का बखान करते हुए बताया की यह मंदिर जनकपुर के पहले बहरासी से लगभग 27 किमी दूर तिलोली ग्राम में पहाड के उपर गुफ़ा में स्थित है। गाँव के लोगों और मंदिर समिति के सदस्यों ने इस मंदिर के बारे में कुछ रहस्यमयीं बातें बताई है। इस मंदिर के अंदर से आने वाली रहस्यमयी आवाजों को अगर सुनना है तो आपको इस जगह पर रुकना पड़ेगा। शांत वातावरण का इंतजार करना होगा। मंदिर के ऊपर पत्थरों पर गेरुआ रंग से उभरी हुई आकृतियों को देखना है तो हर 6 से 7 माह बाद एक बार जरूर जाइए। हर बार आपको नई आकृति मिलेगी। इसे आज तक कोई नहीं जान पाया है कि इन आकृतियों को कौन बनाता है। ऐसे दिव्य स्थान पर मंदिर समिति ने अष्टमी तिथि पर कन्याभोज और भोग प्रसाद की जिम्मेदारी इस वर्ष मुझे सौंपी है। इसके लिए मैं मंदिर समिति का आभारी हूँ। माता रानी के आशीर्वाद से मंदिर समिति और मेरे साथियों के निःस्वार्थ और समर्पित सहयोग से आयोजन संपन्न हुआ।
इस आयोजन को सफल बनाने में अवधेश सिंह, बाबा दादा, विनीत सिंह, देवेंद्र पांडे, गणेश भाई, गढ़ा दाई मंदिर समिति के सभी सदस्यों, सहयोगी साथीगण संतलाल, बीरभान, जितेंद्र मिश्रा, राजकुमार पुरी, बीरबली, सुदर्शन मिश्रा, पप्पू, शिव,लक्ष्मण गुर्जर, गुरुबचन सिंह सबका सहयोग प्राप्त हुआ।