Thetarget365
ख़बर तड़का:
उल्टे पांव शहर लौट आए ये महाशय
सरगुजा की राजनीति भी गजब रंग दिखाती है। अपने आप को बड़ा नेता समझने वाले भी प्रशासन की सख्ती से दूम दबाकर भाग निकलते हैं। ऐसा ही एक घटनाक्रम चुनावी माहौल में भी हुआ। नेताजी के पीछे-पीछे प्रदर्शन कर रहे लोग बुरे फंस गए हैं। हुआ यूं कि एक घटना हो गई। धर्म विशेष के लोग इसमें शामिल थे। फिर क्या था। राजनीति करने का मौका मिल गया। घरों पर बुलडोजर चलाने की मांग शुरू हो गई। लोग सड़कों पर उतर आए। उन्हें लगा कि नेताजी साथ हैं तो डर कैसा ? पूरे घटनाक्रम में प्रशासन की नजर थी। जिला मुख्यालय से अधिकारी भी पहुंचे। समझाने का प्रयास किया। शासन सत्ता आपकी ही है, समझ जाइये। कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। सब ताव में उछल कूद करते रहे। जिला मुख्यालय से फरमान गया। बता दो- चुनाव कराने जितनी फोर्स आई है। सभी को भेज देते हैं। सभी को एक मिनट में ठंडा करके आ जाएंगे। नेताजी के कान में किसी ने फुसफुसाया। मुश्किल बढ़ जाएगी। छवि भी खराब होगी। नेताजी के चक्षु खुल गए। भागते-भागते शहर आ गए। फिर क्या था पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की सख्ती से मामला शांत हो गया लेकिन छोटी से बात पर सड़क रोक ताकत दिखाने वालों की मुश्किल बढ़ गई। पुलिस ने सीधे एफआइआर लार्ज कर दिया। इसलिए तो कहते हैं कि जरा संभलकर रहिए। नेताजी लोगों का क्या है,वे तो निकल जाएंगे, जब आप फ़ंसेगे तो नेताजी थोड़े ही आएंगे।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
बड़ी मुश्किल बाबा बड़ी मुश्किल.!
सरगुजा लोकसभा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज के लिए इन दिनों यह गाना सटीक बैठ रहा है.! बड़ी मुश्किल बाबा बड़ी मुश्किल..!
यह मुश्किल उनके लिए वर्तमान मंत्री और पूर्व मंत्री खड़े कर रहे हैं। बेचारे वर्तमान मंत्री के पास जाते हैं तो पूर्व मंत्री नाराज हो जाते हैं। पूर्व मंत्री के पास जाते हैं तो वर्तमान मंत्री नाराज हो जाते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने पूर्व और वर्तमान मंत्रियों को कैसे झेंला है यह वही बता सकते हैं। यही कारण है कि उनके लिए यह गाना सटीक बैठ रहा है..!
“बड़ी मुश्किल बाबा बड़ी मुश्किल..!”
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
अपनों से ही मिल रहा दर्द
राजनीति में कब कौन अपना और पराया हो जाए, इसका आकलन कर पाना आसान नहीं होता। सरगुजा संसदीय सीट के प्रत्याशी को लेकर भी कुछ ऐसा ही देखने और सुनने को मिल रहा है। जब टिकट मिली तो अपने ही विरोध में उतर आए। हल्ला मचाया की हम काम नहीं करेंगे। दबाब बनाने की रणनीति के तहत राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी रहे पिता को भी ले आए। आरोप लगाना शुरू किया कि पिता की आस्था विरोधी खेमे की ओर था। वरिष्ठ नेताओं ने हस्तक्षेप किया तो मामला कुछ सुलझा हुआ नजर आ रहा था। अब मतदान से ठीक पहले एक नया मामला ले आए। थाने तक शिकायत कर दी कि कर्जा लिया था, अब वापस नहीं कर रहे है। चुनावी मौसम में माहौल बिगाड़ने से अच्छा था कि पुलिस ने भी लिखकर दे दिया कि जाइये, कोर्ट में जाइये..वही फैसला होगा।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
आखिरकार विधायकों ने हाथ क्यों खड़े किया..?
सरगुजा लोकसभा सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया है। भाजपा विधायकों को चार माह विधायक बने बीत गए, इतनी जल्दी इनका जलवा कम कैसे हो गया या फिर जानबूझकर अपना जलवा नहीं दिख रहे..! इधर-उधर से हल्ला उड़ा है कि विधायक भाजपा प्रत्याशी के लिए काम नहीं कर रहे..! कुछ विधायक, प्रत्याशी के साथ फोटो सोटो जरूर खिंचा रहे हैं पर फील्ड में उनकी उपस्थिति कमजोर है। इन विधायकों में दोनों मंत्री हैं। इन दोनों मंत्रियों की साख भी दांव पर है, क्योंकि दोनों बड़े अंतर से चुनाव जीते हैं, जीतने अंतर से चुनाव जीते हैं उतने मत तो भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी को दिलाना ही चाहिए पर सब कुछ मुश्किल लग रहा है। देखना है, चुनाव के बाद कौन विधायक खरा उतरता है।
यह सब कुछ हम नहीं कह रहे, चुनावी माहौल में यह सब हल्ला उड़ा है कि विधायक जलवा नहीं दिख रहे..! अपने क्षेत्र में यह विधायक जलवा क्यों नहीं दिख रहे यह तो वही जान सकते हैं..!
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
तो क्या 200 वोट से जीतेंगे
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक राजनेताओं का आना-जाना लगा रहा। दरिमा एयरपोर्ट भी राजनेताओं से गुलजार रहा। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन दिग्गज हेलीकाप्टर से दरिमा एयरपोर्ट पहुंचे। शासन सत्ता से जुड़े स्थानीय नेताओं, जनप्रतिनिधियों से बातचीत शुरू हुई। अंबिकापुर विधानसभा के परिणाम को लेकर उन्होंने जानना चाहा की बढ़त कितने वोटों की रहेगी, जवाब मिला कि पिछले बार से अच्छा रहेगा भाई साहब.. इसी बीच किसी ने हंसते हुए कहा विधानसभा में तो 94 से ही आगे थे तो क्या इस बार 200 वोट की ही बढ़त रहेगी। फिर पिछले लोकसभा के परिणाम को लेकर जानकारी चाही गई। संगठन से इतर एक समर्पित कार्यकर्ता ने पूरा आंकड़ा दिया। संगठन से जुड़े पदाधिकारी मुंह ताकते रह गए।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
शशि न होती तो चर्चा भी न होती..!
सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में पहली बार कांग्रेस ने युवा नेत्री शशि सिंह को चुनाव मैदान में उतार कांग्रेस के लिए गुंजाइश बना दी। अब तक पुराने बुजुर्गों से कांग्रेस ने काम चलाया था। प्रत्याशी बदल दिया तो 20 साल बाद यह चुनाव चर्चा का विषय बना है। हर बार चुनाव माहौल से ही एक तरफ नजर आता था पर इस बार कांग्रेस का दांव कमजोर नहीं है। भाजपा को मेहनत ज्यादा करनी पड़ रही है। भाजपा के लिए मोदी नाम ही एक सहारा है।
अब तो यह भी चर्चा हो रही है कि शशि न होती तो इस चुनाव में भी कांग्रेस की चर्चा न होती..!
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
चलेगा मोदी फैक्टर या चेहरे से आएगा चुनाव परिणाम
सरगुजा संसदीय सीट के लिए 07 मई को मतदान होगा। इस चुनाव में भी मोदी फैक्टर काम करेगा या चेहरे के आधार पर परिणाम आएगा, इसे लेकर चुनावी चर्चाएं जोर पकड़ती जा रही है। सरगुजा लोकसभा सीट को लेकर हमेशा से ही यह माना जाता था कि यहां जनता चुनाव के दौरान अपना मूड बदलती रहती है। पिछले दो लोकसभा चुनाव और वोटो के बड़े ध्रुवीकरण को लेकर हमेशा से ही यहां सवाल खड़ा होता है कि क्या मोदी फैक्टर जीत का बड़ा कारण था। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से चार चुनाव में भाजपा जीतती रही है। कांग्रेस को अभी भी पहली जीत की प्रतीक्षा है। इस लोकसभा सीट से हमेशा से ही कंवर समाज से प्रत्याशी मैदान में उतरने वाली भाजपा ने साल 2019 में गोंड समाज से प्रत्याशी रेणुका सिंह को बनाया था और नतीजा यह हुआ कि रेणुका सिंह को डेढ़ लाख से अधिक मतों से जीत हासिल हुई थी। इस लोकसभा सीट को लेकर यह माना जाता है कि यहां सबसे ज्यादा आबादी गोंड समाज के लोगों की है। चुनाव में गोंड समाज के लोग जिस तरफ वोट करते हैं जीत उसी पार्टी की होती है। इस बार कांग्रेस पार्टी ने कुछ इसी तरह के प्रयोग किए हैं। कांग्रेस ने सरगुजा लोकसभा सीट से शशि सिंह को मैदान में उतारा है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए चिंतामणि महाराज को अपना प्रत्याशी बनाया है।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
कप्तान ने बता दिया कि पुलिसिंग क्या होती है
सरगुजा जिले में जिस पुलिसिंग की जरूरत थी। वह अब नजर आने लगी है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक पुलिस की प्रभावी उपस्थिति से गुंडा-बदमाशों के हौसले पस्त हो चुके हैं। न तो शासन सत्ता का दबाब और न ही राजनेताओं की धमक.. सही गलत के आधार पर कार्रवाई करने वाली पुलिस को बेहतर काम का इनाम भी मिल रहा है, लापरवाही पर सजा भी। पुलिस की सख्ती का ही नतीजा है कि बिगड़े रईसजादों की धमाचौकड़ी भी अब इस शहर में नजर नहीं आती है।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●