प्रतापपुर (सूरजपुर)। रविवार की सुबह वन परिक्षेत्र प्रतापपुर के कक्ष क्रमांक 43 में तेंदूपत्ता संग्रहण करने गए एक ग्रामीण की हाथी के हमले में मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार रविवार को तड़के रामकुमार पिता जूठन 62 वर्ष निवासी गणेशपुर चिटकाबहरा अन्य ग्रामीणों के साथ वन परिक्षेत्र प्रतापपुर अंतर्गत वनक्षेत्र टुकुडांड़ के कक्ष क्रमांक 43 में में तेंदूपत्ता संग्रहण करने गया था। इसी दौरान ग्रामीणों को क्षेत्र में विचरण कर रहे हाथियों के दल के एक हाथी की अपने आसपास मौजूदगी की आहट सुनाई दी। तभी ग्रामीणों ने देखा कि एक हाथी हमलावर मुद्रा में उनकी ओर बढ़ रहा है। हाथी को अपनी ओर बढ़ता देख तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य कर रहे अन्य ग्रामीण तो किसी तरह से अपनी जान बचाने जंगल से बाहर भागने में सफल हो गए। पर रामकुमार (मृतक) नहीं भाग सका। वह अपनी जान बचाने के लिए जंगल में मौजूद एक पेड़ पर चढ़ने का प्रयास करने लगा पर इससे पहले की वह पेड़ पर चढ़ पाता हाथी ने उसे अपने सूंड़ में लपेटकर जमीन पर पटक पैरों से कुचल दिया। जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। सूचना पर वन विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे रेंजर उत्तम मिश्रा विभागीय वाहन द्वारा मृतक के शव को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रतापपुर लाए जहां पोस्टमार्टम की कार्रवाई पूर्ण करा शव स्वजनों को सौंप दिया। इसके पश्चात वन विभाग की टीम ने रेंजर उत्तम मिश्रा के निर्देश पर मृतक के घर पहुंचकर उसके स्वजनों को तात्कालिक सहायता राशि के रूप में 25 हजार रूपए नगद प्रदान किए।
गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष मई माह में शासन द्वारा ग्रामीणों से तेंदूपत्ता की खरीदी की जाती है। तेंदूपत्ता ग्रामीणों की आजीविका का प्रमुख साधन है। जंगल से तेंदूपत्ता संग्रहण कर ग्रामीण शासन को बेचते हैं जिससे उन्हें अच्छे खासे खासे पैसे मिल जाते हैं। इस पैसे का ग्रामीणों द्वारा वर्षाकाल में होने वाली खेती व अपने अन्य जरूरी कार्यों में उपयोग किया जाता है। यही कारण है कि वन विभाग की चेतावनी के बावजूद ग्रामीण अपनी जान को जोखिम में डालकर तेंदूपत्ता संग्रहण करने जंगल में जाते हैं।
चेतावनी को ग्रामीण कर रहे नजरंदाज
इस संबंध में उप वन मंडलाधिकारी आशुतोष भगत ने बताया कि इस समय वन परिक्षेत्र प्रतापपुर में कई दिनों से हाथियों का एक दल विचरण कर रहा है। वन विभाग की टीम व हाथी मित्र दल हाथियों की गतिविधि पर लगातार नजर बनाकर ग्रामीणों को मुनादी व अन्य माध्यमों से जंगल न जाने की चेतावनी दे रहे हैं। पर ग्रामीण वन विभाग द्वारा दी जा रही चेतावनी को बार बार नजरंदाज कर जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने जा रहे हैं। जो काफी खतरनाक साबित हो रहा है।