अंबिकापुर @thetarget365 महामाया पहाड़ नवागढ़ में अतिक्रमण हटाये जाने के बाद आज मंगलवार को प्रभावित परिवारों के महिला-पुरुष व बच्चे हाथों में तख्ती लेकर रैली की शक्ल में कलेक्ट्रेट पहुंच गए। मौके पर पहले से मौजूद पुलिस बल ने कलेक्ट्रेट गेट पर ही बैरिकेडिंग कर सभी को रोक लिया। बाद में आचार संहिता का हवाला देकर एक प्रतिनिधिमंडल को ही कलेक्ट्रेट के अंदर प्रवेश करने दिया गया। कुछ देर तक प्रभावित परिवारों ने जमकर नारेबाजी की। इस दौरान पुलिस की समझाइश के बाद ज्ञापन देकर सभी वापस लौट गए।
प्रतिनिधि मंडल द्वारा एसडीएम अंबिकापुर को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि वनमंडलाधिकारी सरगुजा के आदेशानुसार वन खण्ड खैरबार, ग्राम नवागढ़ में स्थित कक्ष क्रमांक आरएफ 2582 में आरक्षित भूमि पर कब्जा हटाये जाने का नोटिस चस्पा किया गया था। सोमवार 20 जनवरी को वन विभाग द्वारा लगभग 65 मकानों को तोड़कर जमीदोज कर दिया गया है। उक्त मकानों पर बुजुर्ग, महिलाएं एवं परिवार विगत 30 से 40 वर्ष से काबिज होकर मकान बनाये थे। वन विभाग द्वारा विधि विरुद्ध तरीके से कार्यवाही की गयी, जिसमें मकान मालिको को सुनवाई का समुचित अवसर नहीं दिया गया और ना ही मकान खाली करने का मौका मिला। उक्त मकानों में गरीब वर्ग के लोग निवास करते थे।
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ज्ञापन में लिखा है कि तोड़फोड की कार्यवाही करने से 65 घर वाले बेघर हो गये हैं। जिनके समक्षक अब रोजी-रोटी के अलावा रहने की कठिनाई भी उत्पन्न हो गयी है। सभी प्रभावित परिवार ठंड के मौसम में खुले आसमान में जीवन व्यतीत करने के लिये मजबूर हो गये हैं। ऐसी स्थिति में एक राजत्व की टीम गठित कर पीड़ितों को नये सिरे से अन्यत्र पुर्नवास की भूमि या अटल आवास जो बनकर तैयार है उसे आबंटित किया जाये या उन्हे मकान बनाने के लिये कोई शासकीय जमीन आबंटित किया जाये। साथ ही प्रभावित प्रत्येक परिवारों को 2.50,000/-रूपये आर्थिक सहायता राशि प्रदान कराई जाए। सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेखित है कि प्रभावित 65 परिवारों में से किसी एक की भी जनहानि हुई तो जिम्मेदार शासन-प्रशासन होगा।
अंबिकापुर एसडीएम फागेश सिन्हा ने कहा कि प्रशासन वन विभाग से बात कर के इनकी मांगों पर विचार करेगा। जो भी शासकीय प्रवाधान में होगा किया जाएगा। उनकी मांग अटल आवास को लेकर है जैसा भी होगा इस पर प्रशासन विचार करेगी।
बता दें वर्षों पहले महामाया पहाड़ में हुए अतिक्रमण पर सोमवार को हुए प्रशासनिक कार्यवाही में 38 मकान तोड़ दिए गए थे। अब प्रभावित परिजनों के समक्षक खुले आसमान के नीचे रहने की समस्या खड़ी हो गई है। फिलहाल न्यायालय ने 5 दिन में पूरी रिपोर्ट पेश करने कहा है।