Modi Jinping Handshake: भारत-चीन के बीच तियानजिन में रविवार को हुई बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय बैठक ने राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दोस्ताना अंदाज में हाथ मिलाने की तस्वीरें वायरल हुईं, जिसे कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने कड़ी आलोचना का निशाना बनाया है।
एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले हुई मुलाकात
दुनिया की दो बड़ी ताकतों – भारत और चीन – के बीच तियानजिन में रविवार को बैठक हुई। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से पहले आयोजित की गई थी। इस दौरान सीमा विवाद, आर्थिक सहयोग, आतंकवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दोनों देशों ने आपसी संबंधों को मजबूत करने और द्विपक्षीय मुद्दों के समाधान की प्रतिबद्धता जताई है।
मोदी ने कहा, “सीमा मुद्दे पर हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच समझौता हुआ है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी शुरू हो रही हैं।”
कांग्रेस ने की तीखी आलोचना
हालांकि, इस दोस्ताना मुलाकात का कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि मोदी की यह ‘मुस्कुराते हुए हाथ मिलाना’ चीन की सीमा पर हुई हिंसा और ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के खुला समर्थन जैसे गंभीर मामलों को नजरअंदाज करने जैसा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि चीन ने गलवान घाटी में हमारे 20 बहादुर सैनिकों की हत्या की, वह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहा था, लेकिन मोदी ने इन सबके बावजूद चीन के राष्ट्रपति से मुस्कुराते हुए हाथ मिला लिया।
राजनीतिक गलियारों में गरमा रही बहस
कांग्रेस के अलावा कई अन्य विपक्षी दल भी मोदी सरकार की चीन नीति पर सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि मोदी सरकार चीन के प्रति नरम रवैया अपनाकर देश की सुरक्षा और सम्मान को कमजोर कर रही है।
वहीं, सरकार का कहना है कि बातचीत और कूटनीति से ही द्विपक्षीय विवादों का समाधान निकाला जा सकता है। प्रधानमंत्री ने यह भी जोर दिया कि भारत-चीन के बीच सहयोग से न केवल दोनों देशों बल्कि पूरी मानवता को लाभ होगा।
भारत-चीन संबंध: दोस्ती या तनाव
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से जारी है। पिछले वर्षों में गलवान और लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव भी हो चुके हैं।
इन हालात में प्रधानमंत्री मोदी का चीन के राष्ट्रपति से मुस्कुराते हुए हाथ मिलाना कुछ वर्गों को कूटनीति का सकारात्मक पक्ष दिखता है, तो कुछ इसे देश की भावनाओं के खिलाफ और गंभीर मसलों को हल्के में लेने वाला कदम मानते हैं।
तियानजिन में हुई मोदी-शी जिनपिंग की बैठक से भारत-चीन संबंधों में नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन राजनीतिक बहस और जनता की प्रतिक्रियाएं इस कदम की सफलता को लेकर सवाल खड़े कर रही हैं।
कांग्रेस समेत विपक्ष की तीखी आलोचना के बीच सरकार को चुनौती यह साबित करने की है कि क्या यह नरम रुख भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय हितों की रक्षा करता है या नहीं।