नई दिल्ली (thetarget365)। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व मध्यप्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया था। मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी। कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों और ढाबों पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने का आदेश दिया गया था। श्रावण मास आज से ही शुरू हो रहा है। भक्त और श्रद्धालु कांवड़ लेकर भोले शंकर को जल चढ़ाने के लिए कई किलोमीटर की यात्रा करते हैं। उसी यात्रा के दौरान कई दुकानों और ढाबों से वो खाने का सामान व अन्य चीजें खरीदते हैं।
यूपी सरकार ने सबसे पहले आदेश जारी कर इन दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने का आदेश जारी किया था ताकि श्रद्धालु अपनी पसंद की दुकान से सामान खरीद सकें। उसके बाद ऐसा ही आदेश उत्तराखंड और मध्यप्रदेश सरकार ने भी जारी किया। इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि श्रद्धालुओं को मानक स्वच्छता बनाए रखते हुए उनकी पसंद का भोजन परोसा जा सकता है।
राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार, राज्य भर में सभी खाद्य दुकानों, भोजनालयों और फूड जॉइंट्स को मालिकों/प्रोपराइटरों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने वाली “नेमप्लेट” लगानी होगी। श्रावण मास में कांवड़ यात्रा करने वाले हिंदू श्रद्धालुओं की “आस्था की पवित्रता” बनाए रखने के लिए आदेश जारी करने की बात कही गई थी। आदेश के अनुसार, यात्रा मार्ग पर हलाल प्रमाणन वाले उत्पाद बेचने वालों पर भी दंडात्मक कार्रवाई की जानी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत कहा गया है कि दुकानों पर मालिक और कर्मियों पर नाम लिखने का दबाव ना डाला जाए। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं। दुकान मालिकों को नाम बताने की जरुरत नहीं है। दुकानदारों को सिर्फ खाने के प्रकार बताने की जरूरत है। मतलब यह कि दुकान पर यह लिखा होना चाहिए कि दुकान में मांसाहारी खाना मिल रहा है या शाकाहारी खाना। कोर्ट ने इस मामले में अदालत ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।