■ पाइपलाइन कार्य के बाद धूल से दमघोंटू हुआ माहौल
■ दुकानदारों ने बंद की दुकानें, शहर के बाईपास मार्ग पर बढ़ी परेशानी
अंबिकापुर @thetarget365 शहर के प्रमुख मार्गों में शामिल सत्तीपारा रोड इन दिनों धूल और गड्ढों के कारण लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। शीतला वार्ड के रानीसत्ती मंदिर गेट से लेकर सरस्वती शिशु मंदिर तक पाइपलाइन बिछाने के लिए की गई खुदाई के बाद सड़क को पुनः ठीक नहीं किया गया, जिससे चारों ओर धूल का गुबार छाया हुआ है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कुछ दुकानदारों ने स्वयं ही अपनी दुकानें बंद कर दी हैं। वहीं वार्डवासियों के घरों के अंदर तक धूल भर जा रहा है।
सत्तीपारा रोड को देवीगंज रोड का विकल्प मानते हुए शहर का ट्रैफिक अक्सर इसी मार्ग से डायवर्ट किया जाता है, लेकिन अब इस रास्ते पर चलना दूभर हो गया है। जगह-जगह गड्ढे और हर वक्त उड़ती धूल ने वार्डवासियों का जीना मुहाल कर दिया है। वार्ड वासियों ने कहा कि रोज हमलोग अपने पार्षद से शिकायत करते हैं। लेकिन इसका उचित निराकरण नहीं हो पा रहा है। घरों में बच्चे और बुजुर्ग धूल से बहुत परेशान हैं, दिन रात हमलोगों को घर का दरवाजा बंद करके रहना पड़ रहा है।
बता दें इस मार्ग पर वार्ड क्रमांक 26 सत्तीपारा के पार्षद व एमआईसी सदस्य दूधनाथ गोस्वामी, वार्ड 25 नेहरू वार्ड की पार्षद पूनम मिश्रा और वार्ड 32 की पार्षद शुभ्रा सोनी का वार्ड आता है और तीनों ही सत्तारूढ़ दल के पार्षद हैं। तीनों पार्षद भी इन हालातों को लेकर चिंतित हैं। वहीं, वार्ड पार्षद व एमआईसी सदस्य विशाल गोस्वामी ने स्पष्ट कहा कि निगम के अधिकारियों और ठेकेदार की लापरवाही के चलते वार्डवासियों को भारी असुविधा हो रही है। उन्होंने पानी का नियमित छिड़काव कराने की मांग की है ताकि लोगों को धूल से राहत मिल सके।
इस संबंध में निगम के लोक निर्माण विभाग के प्रभारी व एमआईसी सदस्य मनीष सिंह ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में है और जल्द ही सड़क मरम्मत की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पानी के छिड़काव के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है और अस्थायी समाधान के रूप में वैकल्पिक व्यवस्था लागू की जा रही है।
महापौर मंजूषा भगत ने नाराजगी जताते हुए जलप्रदाय शाखा के प्रभारी प्रशांत खुल्लर को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सड़क पर नियमित पानी का छिड़काव कराया जाए और सड़क को यथास्थिति में लाया जाए। उन्होंने कहा कि ये अधिकारियों की नाकामी है कि वे ठेकेदार से सही ढंग से काम नहीं करा पा रहे हैं। महापौर ने संकेत दिया कि खुल्लर से विभागीय बोझ भी कम किया जाएगा ताकि कार्यों की गुणवत्ता में सुधार हो।
खैर नगर निगम के तमाम दावों और निर्देशों के बावजूद ज़मीनी हालात बदतर हैं। अब देखना यह होगा कि वार्डवासियों को राहत कब मिलती है और प्रशासन इन समस्याओं का स्थायी समाधान कब तक सुनिश्चित कर पाता है। फिलहाल तो धूल के गुबारों के बीच ही तीनों वार्ड के निवासियों को समय काटना है।