अंबिकापुर (thetarget365)। हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कथाकार धनपत राय श्रीवास्तव ( 31 जुलाई 1880–08 अक्टूबर 1936) जो मुंशी प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, की जयंती है। वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उनके जयंती के सुअवसर पर सेजस केशवपुर में व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।
जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में हिंदी की व्याख्याता मुक्ता कुजूर के नेतृत्व में विद्यालय के शिक्षकों और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उन्होंने बच्चो को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेमचंद ने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। अंचल सिन्हा ने कहा कि उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा।
गंगा पैंकरा ने कहा कि प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। नीतू यादव ने बताया कि साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है। कार्यक्रम में बच्चों ने मुंशीजी के साहित्य का अवलोकन किया और वाचन भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता व्याख्याता अजीत लकड़ा व आतिथ्य प्राचार्य मालती शाक्य ने किया। इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन से बच्चों में साहित्य के प्रति रुचि बढ़ती है। कार्यक्रम के सफल आयोजन में सभी कर्मचारियों का सहयोग सराहनीय रहा।