अंबिकापुर (thetarget365)। सरगुजा जिले के हसदेव अरण्य क्षेत्र में संचालित परसा कोल ब्लॉक को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने अहम फ़ैसला देते हुए माना है कि, परसा कोल ब्लॉक के प्रस्ताव को पारित करने वाली ग्रामसभाएं विधि अनुरूप नहीं थी। आयोग ने आगामी आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश सरगुजा कमिश्नर को दिया है। मामला हसदेव क्षेत्र के परसा कोल ब्लॉक के लिए वर्ष 2018 में आयोजित ग्रामसभा का है।
बता दें कि राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग रायपुर में ग्राम साल्ही, फतेहपुर व हरिहरपुर के मंशीप्रसाद पोर्ते, रामलाल करियाम, कवलसाय पोर्ते, मंगलसाय सहित अन्य 45 ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि परसा कोल ब्लॉक के लिए ग्राम सभा का प्रस्ताव फर्जी है। यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में आता है। आवेदकों ने ग्राम सभा के प्रस्ताव को फर्जी बताते हुए शासन, प्रशासन से शिकायत की थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि 03 गांव की भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई ग्रामसभा स्वीकृति के बिना ही कर ली गई। आयोग ने एसडीएम उदयपुर से जांच प्रतिवेदन मांगा था। एसडीएम ने 17 मार्च 2022 को जांच प्रतिवेदन प्रेषित किया। एसडीएम ने जांच प्रतिवेदन में बताया कि ग्राम हरिहरपुर में 24 जनवरी 2018 को ग्रामसभा का आयोजन किया गया, जिसमें 22 प्रस्ताव पारित किया गया। साल्ही में 23 जनवरी 2018 को ग्रामसभा का आयोजन किया गया, जिसमें 23 प्रस्ताव पास किए गए। इनमें राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के कोल ब्लॉक के लिए वन व राजस्व भूमि के डायवर्सन का प्रस्ताव भी शामिल है।
ग्रामीणों ने लगाया फर्जी प्रस्ताव का आरोप
ग्रामीणों ने मय दस्तावेज बताया है कि 27 जनवरी 2018 को साल्ही में आयोजित ग्रामसभा में क्रमांक 1 से 21 तक प्रस्ताव पारित किए गए। इसमें परसा कोल ब्लाक के डायवर्सन का प्रस्ताव शामिल नहीं है। ग्रामसभा में उपस्थिति 150 थी। एसडीएम के प्रतिवेदन में 23 प्रस्ताव पास होना बताया गया है। दो बिंदु बाद में जोड़े गए। इसमें एसडीएम ने उपस्थिति संख्या 450 बताई है। 24 जनवरी 2018 को हरिहरपुर में आयोजित ग्रामसभा में भी अंतिम प्रस्ताव में परसा कोल ब्लाक के लिए अनापत्ति बाद में जोड़ी गई है। ग्रामीणों ने परसा कोल ब्लॉक के लिए ग्रामसभा के प्रस्ताव को फर्जी बताते हुए करीब 450 किलोमीटर का सफर तय कर तत्कालीन राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उईके से मुलाक़ात की थी। ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंप इन ग्रामसभाओं के प्रस्ताव रद्द करने की माँग रखी थी। तत्कालीन राज्यपाल ने 23 अक्टूबर को राज्य सरकार को पत्र लिखकर ग्रामसभाओं को लेकर ग्रामीणों के आरोप की जाँच कराए जाने के निर्देश दिए थे।
आयोग ने यथास्थिति बनाए रखने का दिया निर्देश
राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने दोनों ग्रामसभाओं को विधि अनुरूप नहीं माना है। आयोग ने सरगुजा कमिश्नर को पत्र लिखकर उक्त प्रस्ताव में आयोग का अंतिम निर्णय होने तक कोई भी अग्रिम कार्रवाई न करते हुए यथा स्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।