नई दिल्ली @thetarget365 इंस्टाग्राम, फेसबुक और इंटरनेट मीडिया के तमाम अलग-अलग प्लेटफार्म पर रील बनाने की सनक इस कदर सवार हो चुकी है कि लोग अपनी जान तक खतरे में डालने लगे हैं। ताजा मामले मध्यप्रदेश के ही हैं, जिसमें दो लोगों की जान चली गई।
पहली घटना चार-पांच मार्च की रात ग्वालियर में हुई, जहां सिलेंडर से गैस लीक करते हुए रील बनाने के चक्कर में महिला-पुरुष झुलस गए। पुरुष की दर्दनाक मौत हो गई। दूसरी घटना मध्यप्रदेश के ही नर्मदापुरम की है, यहां रील पर ज्यादा लाइक कमेंट के लिए युवक बाइक चलाते हुए नदी में कूद गया और पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई।
न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश में ऐसे दर्जनों मामले अब तक सामने आ चुके हैं, जिसमें इंटरनेट मीडिया के जरिये मशहूर होने के लिए लोगों ने जानलेवा करतब किए और अपनी जान से हाथ धो बैठे।
ग्वालियर चंबल अधिक खतरनाक…अवैध हथियारों के साथ वीडियो बना रहे
ग्वालियर और चंबल अंचल का हथियार प्रेम किसी से नहीं छिपा। सभी के पास लाइसेंसी हथियार तो हैं नहीं, ऐसे में अवैध हथियार खरीदकर युवा, यहां तक कि नाबालिग भी रील बना रहे हैं। यह शौक इन्हें अपराधी बना रहा है, क्योंकि अवैध हथियार के साथ वीडियो बहु प्रसारित होने पर यह पकड़े जाते हैं और जेल जाते हैं।
जेल से छूट जाएं, लेकिन भविष्य चौपट हो जाता है। न सिर्फ अवैध हथियार बल्कि लाइसेंसी हथियार से फायरिंग करते हुए वीडियो बनाते हैं, जिससे यह अपराधी बन जाते हैं।
मशहूर होने की ऐसी सनक…गुंडों ने बना डाला सिस्टम गाना
मशहूर होने की सनक में एक कदम और आगे शहर के कुछ युवक हैं। इन युवकों को इंटरनेट मीडिया के जरिए खुद को गुंडे, डॉन की तरह दिखाने का शौक है। ऐसे ही गुंडे केशव यादव ने अपने सट्टेबाज साथियों के साथ मिलकर लाखों रुपए खर्च कर सिस्टम नाम से गाना बना डाला।
यह वजह…जिसकी वजह से रील लाइफ मौत के मुंह तक ले जा रही
रील के जरिए कई लोग मशहूर हो गए। इंटरनेट मीडिया इन्फ्लुएंसर रील बनाते हैं, इससे प्रभावित होकर अब घर-घर में लोग रील बनाने के लिए जानलेवा करतब, अजीब हरकत और अश्लील वीडियो तक शूट कर रहे हैं।
इसकी दूसरी बड़ी वजह है, लोगों को लगता है- यह कमाई का सबसे बढ़िया साधन है। जब व्यू लाखों में पहुंच जाते हैं तो पैसा मिलने लगता है।
बचाव के उपाय भी हैं
■ स्क्रीन टाइम घटाएं: यह इतना आसान नहीं है, इसके लिए खुद को आउटडोर एक्टिविटी में व्यस्त रखें। रीडिंग हेबिट्स रील की वजह से कम हो रही है, बेहतर होगा किताबें, मैगजीन, न्यूजपेपर पढ़ें।
■ बच्चों को दूर रखें: तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों को तो कतई मोबाइल न दें। इससे अधिक मोबाइल देना है तो इसका समय निर्धारित करें।
■ समस्या बढ़े तो थेरेपी लें: ऐसी समस्या बढ़ने पर डिटॉक्सिफिकेशन थेरेपी है, जिससे स्क्रीन टाइम कम कराया जाता है।