बलरामपुर-रामानुजगंज @thetarget365 वाड्रफनगर अनुभाग के ग्राम पंचायत बेबदी में शासकीय उचित मूल्य दुकान (PDS) में भारी घोटाले का खुलासा हुआ है। यहां मार्च 2025 में 144 हितग्राहियों को ई-पॉस मशीन में अंगूठा लगवाकर चावल वितरण नहीं किया गया, जिससे लगभग 44 क्विंटल चावल का गबन सामने आया है। इस मामले में रघुनाथनगर थाना में 11 अप्रैल 2025 को FIR दर्ज की गई है।
यह प्रकरण नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 173 के तहत दर्ज हुआ है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(5), 318(4), 61(2) और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 एवं 7 शामिल हैं।
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) वाड्रफनगर द्वारा की गई जांच में यह स्पष्ट हुआ कि खाद्यान्न वितरण में गंभीर अनियमितता बरती गई है। जांच में सहायक विक्रेता संतोष कुमार ने स्वीकार किया कि मार्च माह में 144 हितग्राहियों को राशन नहीं दिया गया, हालांकि उनका अंगूठा ई-पॉस मशीन पर लगवाया गया। इसके अतिरिक्त, तौलक कन्हैया लाल को बीते तीन वर्षों में लगभग 22 क्विंटल चावल मेहनताना स्वरूप दिया गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले में वाड्रफनगर जनपद उपाध्यक्ष की पत्नी सीमा जायसवाल का नाम सामने आया है, जो ग्राम पंचायत बेबदी में पंचायत सचिव के पद पर पदस्थ हैं। इससे पहले भी वे एक अन्य गबन मामले में जेल जा चुकी हैं।
FIR में नामजद आरोपी हैं:
जागमति (पूर्व सरपंच), जीतलाल (पूर्व सरपंच पति), सीमा जायसवाल (सचिव व जनपद उपाध्यक्ष की पत्नी), संतोष पंडो (सहायक विक्रेता) और कन्हैया लाल (तौलक) शामिल हैं।
पूर्व सरपंच के पति जीतलाल ने भी स्वीकार किया है कि कई बार गांव के सामाजिक कार्यक्रमों में बिना राशन कार्ड के चावल वितरित किया गया।
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) वाड्रफनगर द्वारा की गई जांच में पाया गया कि मार्च 2025 माह में 144 हितग्राहियों को ई-पॉस मशीन में अंगूठा लगवाने के बावजूद चावल वितरित नहीं किया गया। इससे अनुमानित 44 क्विंटल चावल की हेराफेरी हुई, जिसकी कीमत करीब 1,76,000 रुपए आंकी गई है।
सरगुजा कमिश्नर के आदेश पर खाद्य विभाग ने गंभीरता दिखाते हुए यह मामला दर्ज कराया है। जांच में यह भी पाया गया कि दुकान के स्टॉक रजिस्टर और वितरण रजिस्टर में भारी अंतर है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी चावल का गलत तरीके से दुरुपयोग किया गया है।
फिलहाल, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू कर दी है। यह मामला क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े करता है।