अंबिकापुर @thetarget365 सरगुजा जिले के अंबिकापुर में आज उरांव जनजाति द्वारा पारंपरिक आस्था, प्रकृति के प्रति श्रद्धा और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक सरहुल पर्व बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर पर शहर में एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया।
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शोभायात्रा की शुरुआत पटेल पारा से हुई, जो शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए सरना स्थल पर जाकर संपन्न हुई। यात्रा के दौरान उरांव समाज के लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर ढोल, मांदर और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों की सुमधुर धुन पर लोकनृत्य प्रस्तुत किए। जयकारों से गूंजते वातावरण में “धरती माता की जय” और “सरना माता की जय” के नारों ने उत्सव को और भी जीवंत बना दिया।
प्रकृति और संस्कृति का उत्सव
सरहुल पर्व को ‘धरती पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व न केवल प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने का संदेश देता है, बल्कि यह उरांव समाज की गहन सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना को भी प्रकट करता है। यह पर्व पीढ़ियों से प्रकृति के प्रति सम्मान, आभार और सद्भावना का प्रतीक रहा है।
शोभायात्रा के दौरान समाज के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे सनातनी हैं और अपने मूल भावना के प्रति सदैव समर्पित रहेंगे। सरहुल उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, जो न केवल उनकी धार्मिक आस्था बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान और परंपरा को भी जीवित रखता है।
समाज में फैली उत्सव की उमंग
नगरवासियों और आगंतुकों ने भी शोभायात्रा में भाग लेकर इस पारंपरिक पर्व की गरिमा को साझा किया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी में पर्व को लेकर उत्साह देखने को मिला। यह आयोजन न केवल उरांव समाज की परंपराओं का उत्सव था, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का भी उदाहरण बना।