प्रतापपुर (सूरजपुर)। सूरजपुर जिले में एक और दो के सिक्कों को लेकर ग्राहक परेशान हैं। दुकानदार इन सिक्कों को बिलकुल भी नहीं ले रहे। दुकानदारों का कहना है कि जब इन सिक्कों को उनसे बैंक वाले तक नहीं लेते तो फिर वे क्यों लेंगे और ले भी लेते हैं तो खपाएंगे कहां। वहीं ग्राहकों का कहना है कि वे दुकानदारों से एक व दो के सिक्के लेने को तैयार हैं पर पहले दुकानदार इन सिक्कों के लेन-देन कि शुरुआत तो करें। बता दें कि भारत में आरबीआई द्वारा जारी सिक्कों को कोई भी दुकानदार, व्यक्ति अथवा बैंक लेने से इंकार करता है तो उसके ऊपर मामला दर्ज कराया जा सकता है। भारत में वैध मुद्रा लेने से मना करने वालों पर भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रा अधिनियम 1934 के अनुसार धारा 124(1) के तहत् मामला दर्ज कराया जा सकता है। इसके अलावा जाली मुद्रा चलाना, सिक्कों को नकली बताना या लेने से इंकार करने पर धारा 489ए से 489ई के तहत् भी मामला दर्ज हो सकता है। इन सभी धाराओं में जुर्माने के साथ साथ तीन वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है। मुद्रा या नोट लेने का वचन भारत सरकार की तरफ से दिया जाता है। जिसे लेने से कोई भी इंकार नहीं कर सकता। आमतौर पर इन सिक्कों की जगह पर दुकानदार ग्राहक को उसकी इच्छा के विपरित चाकलेट थमा देता है जो सही नहीं है। सम संख्या वाली दर के सामानों को खरीदने में कोई परेशानी नहीं है मगर विषय संख्या की दर वाले सामानों को खरीदने में एक, दो, तीन और चार रुपए के रूप में अतिरिक्त राशि चली जाती है। जैसे उदाहरण के लिए सत्रह की जगह पर बीस रुपए देने पड़ जाते हैं। अगर साल भर का आंकड़ा निकाला जाए तो इस प्रकार के विषम संख्या की दर वाले सामानों को खरीदने में ग्राहकों की जेब से बिना वजह के काफी राशि बेकार में ही चली जाती है। दरअसल ग्राहक और दुकानदार दोनों ने ही सिक्के न लेने की मानसिकता बना रखी है जबकि सिक्कों के लेनदेन में कहीं पर भी कोई परेशानी नहीं है। देश के कई राज्यों सहित छत्तीसगढ़ के कई जिलों में एक और दो के सिक्कों का लेनदेन बिना किसी परेशानी के हो रहा है। पर छत्तीसगढ़ का सूरजपुर एक ऐसा जिला है जहां के लोगों को सिक्कों के लेनदेन में परेशानी होती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए प्रशासन को पहल करने की जरूरत है।
केवल यह सिक्के नहीं हैं चलन में
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने अभी तक एक पैसे से लेकर पच्चीस पैसे तक के कीमत वाले सिक्कों को 30 जून 2011 से संचलन से वापस लिया है इसलिए अब यह वैध मुद्रा नहीं है। मगर ध्यान रहे एक दो की तो बात छोड़िए अभी पचास पैसे के सिक्के तक को कोई भी व्यक्ति लेने से इंकार नहीं कर सकता क्योंकि सरकार ने इसे अभी तक संचालन से वापस नहीं लिया है।